11वीं अपोलो 'इंटरनेशनल क्लीनिकल न्यूट्रीशन अपडेट' कॉन्फ्रेंस को पूर्व मंत्री अर्चना दीदी ने किया संबोधित
बुरहानपुर। इंदौर में 11वीं अपोलो इंटरनेशनल क्लीनिकल न्यूट्रीशन अपडेट कॉन्फ्रेंस (एआईसीएनयू) का आयोजन इंदौर का अपोलो हॉस्पिटल होस्ट द्वारा 21 और 22 सितंबर 2019 को किया गया। अपोलो हॉस्पिटल ग्रुप की न्यूट्रिशन एंड डाइटेटिक्स आर्म द्वारा आयोजित इस सालाना कॉन्फ्रेंस में क्लीनिकल न्यूट्रीशन के क्षेत्र में हो रही प्रगति और अपडेट पर दुनियाभर और देश के नामी क्लीनिकल न्यूट्रीशनिस्ट और डाइटिशियन ने अपनी बात रखी। इस दो दिनी कांफ्रेंस में 10 देषों के 500 से ज्यादा डेलीगेट शामिल हुए। कॉन्फ्रेंस की थीम 'कनेक्टिंग एविडेंस टू क्लिनिकल न्यूट्रिशन प्रैक्टिस' रखी गई। 2 दिनी कॉन्फ्रेंस में कई सेशन हुए, जिसमें 75 से ज्यादा रिसर्च पेपर भी पढ़े गए। कांफ्रेंस को मध्यप्रदेष की पूर्व कैबिनेट मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस (दीदी) ने मुख्य अतिथि के रूप में सम्मिलित होकर उपस्थितजनों के बीच अपने विचार रखें।
कांफ्रेंस में दुबई, यूएसए, यूके, मलेशिया, नई दिल्ली, बंगलुरु, कोलकाता, मुंबई, चेन्नई के विशेषज्ञ शामिल हुए। प्रथम दिवस रीनल वर्कशॉप, पिडयाट्रिक वर्कशॉप, न्यूट्रीशन केअर पर बात हुई। दूसरे दिन भी कई सेशन हुए, जिनमें कई टॉपिक पर विशेषज्ञों ने अपनी बात रखी और पैनल डिस्कशन भी हुआ। ये सभी के लिए अनूठा प्लेटफार्म साबित हुआ। दुनियाभर के कई विशेषज्ञ एक मंच पर उपस्थित रहे और उनसे बातचीत का अच्छा नतीजा सामने आया।
कांफ्रेंस को संबोेधित करते हुए श्रीमती अर्चना चिटनिस ने कहा कि हम सभी को यह पता है कि स्वस्थ शरीर के लिए संतुलित पोषण जरूरी है। एक डाईटिशियन को हमेशा नए शोध के परिणामों व उनके प्रभावों की नवीनतम जानकारी से अवगत रहना चाहिए, जो उनके मरीजों के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ में सहायक होगा। स्वस्थ शरीर के लिए संतुलित पोषण जरूरी है। फास्ट फूड की दुनिया में संतुलित आहार को लोग भूल गए हैं। इसके लिए लोगों को जागरूक होना जरूरी है।
श्रीमती चिटनिस ने कहा कि हम सब को पोषण जागरूकता के साथ-साथ ''पोषण संवेदी कृषि'' को प्राथमिकता देने की जरूरत है, क्योंकि फूड सेक्युरिटी के फेर में हम अधिक उत्पादन वाली कृषि में उलझ गए हैं और अधिक रासायनिक उर्वरकों-खादों के उपयोग से जमीन की पोषकता को खत्म करते जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि खाद्य सुरक्षा में आत्मनिर्भरता प्राप्त कर लेने के बाद अब कृषि को पोषण से जोड़ने और पोषण जागरुकता के लिए व्यापक अभियान चलाने की आवश्यकता है। हमें आधुनिक कृषि और खाद्य प्रणाली को पोषण की दृष्टि से संवेदनशील और जनोपयोगी बनाना होगा। इसके साथ ही खाद्य पदार्थों में विविधता को अपनाना इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।
श्रीमती चिटनिस ने कहा कि आज समय की आवश्यकता है कि हमें कृषि, पोषण और स्वास्थ्य के समेकन हेतु सहक्रियाशील दृष्टिकोण अपनाना होगा।