भाजपा का कमलनाथ सरकार के खिलाफ किसान आंदोलन, नारेबाजी कर सरकार को चुनावी वादे दिलाये याद
पूर्व मंत्री अर्चना दीदी के नेतृत्व में बुरहानपुर के शाहपुर में हुआ कमलनाथ सरकार के खिलाफ किसान आंदोलन
बुरहानपुर। शुक्रवार को भारतीय जनता पार्टी द्वारा हर विधानसभा क्षेत्र में किसान आंदोलन किया गया। बुरहानपुर विधानसभा में शाहपुर में पूर्व कैबिनेट मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस (दीदी) के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी द्वारा मध्यप्रदेश कांग्रेस की कमलनाथ सरकार के खिलाफ किसान आंदोलन किया गया। इस दौरान जनप्रतिनिधियों, पार्टी पदाधिकारियों सहित किसानों ने कमलनाथ सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर आड़े हाथों लिया और चुनाव के समय किए वादे याद दिलाए। आंदोलन के पश्चात महामहिम राज्यपाल के नाम तहसीलदार को ज्ञापन सौंपा गया।
पूर्व मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस ने कहा कि किसानों को उनका हक नहीं दिया जा रहा है। कमलनाथ की झूठी सरकार ने ना कर्जा माफ, ना बिजली बिल हाफ किया। जनता कमलनाथ सरकार को देख चुकी है।
कांग्रेस का कार्यकर्ता भी आज शर्मिंदा है कि मैं जिस पार्टी का कार्यकर्ता हूं उस पार्टी की सरकार किस प्रकार का कार्य कर रही है। भारतीय जनता पार्टी की केन्द्र सरकार ने मध्यप्रदेश को 6 लाख प्रधानमंत्री आवास योजनांतर्गत मकान दिए थे, लेकिन मध्यप्रदेश की कांग्रेस सरकार ने केन्द्र सरकार को 3 लाख मकान वापस करते हुए कह दिया कि मध्यप्रदेश में मकान नहीं चाहिए। केन्द्र की नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व वाली सरकार पैसा दे रही है लेकिन मध्यप्रदेश सरकार लेने में दिक्कत दे रही है। गांवों में बदहाली है, स्कूलें खाली है। सारे स्कूलों के शिक्षकों के ट्रांसफर कर दिए गए है। यह सरकार झूठे वादे करके बनी है। इस सरकार को हम जगाना चाहते है। हमारे रहते जनता की बदहाली नहीं होने देंगे। अतिवर्षा से सोयाबीन पुरी तरह बर्बाद हो गई है। लेकिन आज तक किसानों के खेत में एक भी सरकार का जनप्रतिनिधि नहीं आया है। भाजपा की सरकार के समय किसानों के सुख, दुख में एक आवाज पर मुख्यमंत्री जी बुरहानपुर आ गए थे।
इस दौरान किसान आंदोलन को जनपद पंचायत अध्यक्ष किशोर पाटिल, युवराज महाजन, नगर निगमाध्यक्ष मनोज तारवाला, पूर्व महापौर श्रीमती माधुरी पटेल, महामंत्री मुकेश शाह, मनोज लधवे, वीरेन्द्र तिवारी, विनोद चौधरी सहित अनेक वरिष्ठ नेताओं ने संबोधित किया।
आंदोलन में गुलचंद्रसिंह बर्ने, गजानन महाजन, राजू पाटिल, रामदास पाटिल, साजन रावत, काशीनाथ डामरे, भास्कर रामभाउ, राजू सोहले, मुरली पाटिल, प्रदीप पाटिल, कैलाश हांडगे, गणेश केशव, अशोक नदीवाले, किशोर चौधरी, भागवत पाटिल, नीतिन महाजन, गफ्फार मंसूरी, मनोज चौधरी, प्रदीप डिलर, रूद्रेश्वर एंडोले एवं श्रीमती वंदना पाटिल सहित किसान बंधु उपस्थित रहे।
पूर्व मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस ने कहा कि मध्यप्रदेश में अतिवर्षा से भारी तबाही हुई है। म.प्र. की कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार आपदा प्रबंधन नहीं कर पाई है और न ही सरकार की ओर से नागरिकों को कोई मदद दी गई है। कांग्रेस ने अपने वचन पत्र के वचनों को भी नहीं निभाया है। मध्यप्रदेश की जनता एवं किसान समस्याओं से जूझ रहे है। समस्याओं के प्रमुख बिन्दुओं के साथ महामहिम राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा गया। इस अपेक्षा के साथ की इन बिन्दुओं पर तत्काल निर्णय हो, जिससे म.प्र. की जनता एवं किसानों को राहत मिल सके। हर मोर्चे पर विफल रही मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार।
श्रीमती चिटनिस ने बताया कि अनेक समस्याओं के प्रमुख बिन्दुओं में आपदा प्रबंधन में मध्यप्रदेश की कांग्रेस सरकार पूरी तरह नाकाम रही। इस वर्ष प्रदेश के 52 जिलों में से 32 जिलों में अतिवर्षा से आई बाढ़ में हजारों घर बह गए, मवेशी, गाय, भैंस आदि हजारों की संख्या में बहकर मर गए। किसानों के घरों में रखी सोयाबीन, गेहूँ, सरसों, लहसुन, चना आदि फसलें नष्ट हो गई। घरों की तबाही ऐसी हुई की सर छुपाने की जगह नहीं बची। मुख्यमंत्री, मंत्री प्रभावित गाँवों में समय पर नहीं पहुंचे। अतिवर्षा के कारण सोयाबीन, मक्का, मूँग, उड़द, कपास, केला, संतरा व सब्जियों की खेतों में पड़ी फसलें नष्ट हो चुकी हैं। इन सभी जिलों में सरकार कोई सर्वे न कराकर उसका शत-प्रतिशत नुकसान मानकर किसानों को आरबीसी की पुस्तिका में उल्लेखित मुआवजा प्रति हेक्टेयर 40 हजार रुपए दिया जाए। बाढ़ के अतिरिक्त सोयाबीन की फसल अफलन का भी शिकार हुई है। फसलों को येलो मोजैक, सफेद मच्छर, लाल मकड़ी, इल्ली सहित अन्य कीट-व्याधि से भी नुकसान हुआ है।
श्रीमती अर्चना चिटनिस ने कहा कि मध्यप्रदेश सरकार फसल बीमा दिलाने के लिए प्रभावी कार्यवाही करें। साथ ही कजऱ् माफी का वचन निभाएं और कजऱ् माफी के लिए प्रतीक्षारत किसानों को फसल बीमा का लाभ दिया जाए। राज्य में वर्ष 2018 व 19 में पड़े तुषार और पाला से व्यापक स्तर पर रबी फसलों का नुकसान हुआ था। उन सभी किसानों को आज दिनांक तक मुआवज़ा/क्षतिपूर्ति राशि नहीं मिली है। ओला-पाला पीडि़त किसानों को तुरंत मुआवज़ा राशि दी जाए। कांग्रेस ने अपने वचन पत्र में जीरो प्रतिशत ब्याज योजना का वास्तविक लाभ देने का वचन दिया था। खरीफ ऋण की डयू-डेट 31 दिसम्बर तय करेगें का वादा किया था, लेकिन ऐसा अभी तक नहीं किया। म.प्र. के किसान को कालातीत घोषित कर दण्ड ब्याज सहित कजऱ् की वसूली की जा रही है तथा किसानों को सहकारी एवं राष्ट्रीकृत बैंकों से पुर्न ऋण वितरण भी नहीं हो पा रहा है। वित्त पौषण नहीं होने से किसानों का काम प्रभावित हो रहा है। म.प्र. की कांग्रेस सरकार ने सहकारी संस्थाओं से एन.पी.ए. हुए किसानों की ऋण मॉफी के लिए सहकारी संस्थाओं से ऋण की आधी राशि वहन करने का जबरिया प्रस्ताव अधिकारियों से प्राप्त किया है। ऐसी स्थिति में संस्थाओं में जमा किसानों की अंश पूजी व संस्था का मुनाफा दोनों ही मिलाकर इस आधी राशि की पूर्ति नहीं कर सकते। ऐसी स्थिति में सहकारी संस्थाएँ डूबने के कगार पर आ गई हैं। समस्त अधिसूचित फसलों की खरीदी करे सरकार राज्य सरकार ने 16 सितंबर 2019 को खरीफ की धान, ज्वार और बाजरा मात्र तीन फसलों की खरीदी हेतु पंजीयन कराने के संबंध में विज्ञापन प्रकाशित किया है। सरकार खरीफ की अन्य अधिसूचित फसलों को भी खरीदने की व्यवस्था करे और खरीदी हेतु आवश्यक कार्यवाही पूरी करंे। मंडियों में किसानों को नगद भुगदान कराया जाए। कांग्रेस ने चुनाव के पूर्व अपने वचन पत्र में वादा किया था कि हम मंडियों में किसानों को विक्रय की गई फसल का नगद भुगतान कराएंगे। सरकार बने 9 माह बीत गए अभी भी किसान नगद भुगतान के लिए दर-दर भटक रहा है। व्यापारी आरटीजीएस/एनईएफटी के माध्यम से किसानों को भुगतान कर रहे हैं। जिसके कारण किसान असुविधा महसूस कर रहा है। उसकी छोटी-छोटी आवश्यकताएं भी पूरी नहीं हो पा रही हैं। जबकि केंद्र सरकार ने कृषि उपज मंडियों से संबंधित क्रय-विक्रय करने वाले व्यापारियों को बैंक से नगद राशि आहरण करने पर कोई पाबंदी नहीं रखी है। 2 प्रतिशत टीडीएस भी समाप्त कर दिया है। मध्यप्रदेश सरकार तत्काल प्रभाव से मंडी प्रांगणों में किसानों से क्रय की गई फसलों का नगद भुगतान सुनिश्चित करें।
श्रीमती अर्चना चिटनिस ने कहा कि मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार रबी वर्ष 2018-19 में खरीद की गई फसलों का तत्काल भुगतान किया जाए। गत वर्ष पंजीकृत किसानों को भावान्तर राशि का भुगतान करें। फसलों पर बोनस देने का वचन निभाएं। खेती के लिए किसानों को 12 घंटे बिजली दे। बिजली उपभोक्ताओं के साथ धोखा करना बंद करंे। किसानों को गेहूं बीज अनुदान राशि दे। पशुओं को बीमारी से बचाने के लिए अभियान चलाए। किसानों को किसान सम्मान निधि योजना से वंचित न करें। मध्यप्रदेश सरकार किसानों को किसान मानधन योजना से वंचित न करें।