बुधवार, 2 अक्तूबर 2019

अभी सिंगल यूज प्लास्टिक पर नहीं लगेगा बैन, पहले सरकार फैलाएगी जागरूकता

अभी सिंगल यूज प्लास्टिक पर नहीं लगेगा बैन, पहले सरकार फैलाएगी जागरूकता


 


सिंगल यूज प्लास्टिक पर सरकार ने पूरी तरह रोक नहीं लगाने का फैसला किया. इसके बजाय, सरकार फिलहाल इसके खिलाफ अभियान के जरिए लोगों में जागरूकता फैलाने का प्रयास करने वाली है. पहले खबर थी कि दो अक्टूबर से सिंगल यूज प्लास्टिक को बैन कर दिया जाएगा.
सरकार ने साफ किया है कि पीएम मोदी के स्वच्छ भारत अभियान का मकसद सिंगल यूज प्लास्टिक को बैन करना नहीं है. जल शक्ति मंत्रालय द्वारा संचालित ट्विटर हैंडल 'स्वच्छ भारत' पर सरकार ने कहा कि अभियान का मकसद सिंगल यूज प्लास्टिक के खिलाफ जागरूकता फैलाना है.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने सरकारी अधिकारियों के हवाले से कहा है कि सरकार सिंगल यूज प्लास्टिक पर पूर्ण प्रतिबंध नहीं लगाने जा रही है. सरकार इसके इस्तेमाल नहीं करने के लिए लोगों को जागरूक करेगी लेकिन उत्पादन पर रोक के लिए कोई नहीं कानून लाने की योजना अभी नहीं है.
रॉयटर्स की खबर पर 'स्वच्छ भारत' ट्विटर हैंडल से दी गई प्रतिक्रिया में भी यही कहा गया है. माना जा रहा है कि सरकार अर्थव्यवस्था में पहले से मौजूद सुस्ती की वजह से कदम आगे बढ़ाने से बच रही है. ऑटो सेक्टर और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में सुस्ती के चलते हजारों लोगों को नौकरी गंवानी पड़ी है.
'स्वच्छ भारत' की ओर से ट्वीट पर कहा गया, "पीएम मोदी की ओर से 11 सितंबर 2019 को शुरू किया गया स्वच्छता ही सेवा अभियान का मकसद सिंगल यूज प्लास्टिक को बैन करना नहीं, बल्कि इसके इस्तेमाल को रोकने के लिए लोगों में जागरूकता लाकर जन-आंदोलन बनाना है." इस ट्वीट में पीएमओ को भी टैग किया गया है.


दो वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों ने बताया कि प्लास्टिक बैग्स, कप, प्लेट, छोटे बॉटल, स्ट्रॉ और कुछ प्रकार के पाउच को बैन करने के लिए तत्काल कोई कदम नहीं उठाया जाएगा, सरकार इसके इस्तेमाल में कमी का प्रयास करेगी.
पर्यावरण मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी चंद्र किशोर मिश्रा ने कहा, "पॉलिथिन और स्टेरोफॉम जैसे सिंगल यूज प्लास्टिक प्रॉडक्ट्स जैसे के रखरखाव, उत्पादन आदि को लेकर केंद्र सरकार राज्यों सरकारों से मौजूदा कानूनों को ही लागू करने को कहेगी. अभी बैन का कोई नहीं आदेश जारी नहीं किया जाएगा."
सरकार के प्रस्तावित बैन ने उन कंपनियों को निराश कर दिया था जो सोडा, बिस्किट से लेकर कैचअप और शैंपू जैसे प्रॉडक्ट्स के पैकिंगग के लिए प्लास्टिक का इस्तेमाल करती थी. भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) के अनुसार यह फैसला कई सेक्टर्स के लिए अस्तित्व का मुद्दा बन गया है, क्योंकि विकल्प तुरंत उपलब्ध नहीं है.
केंद्र सरकार ने 2 अक्टूबर से जिन 5 आइटमों पर रोक की बात कही थी उनमें कैरीबैग के अलावा प्लास्टिक और थर्मोकोल के कटलरी आइटम, पाउच, 200 मिली से छोटे बोतल, स्ट्रॉ भी थे. दुकानदार इस बात को लेकर परेशान हैं कि अधिकारियों ने कोई कार्रवाई की तो उन्हें ही भुगतना पड़ेगा.
भारत में हर साल 1.4 करोड़ टन प्लास्टिक का इस्तेमाल होता है. इस सेक्टर में प्लास्टिक से पैदा होने वाले कूड़े के प्रबंधन की संगठित प्रणाली नहीं है. इसके चलते गंदगी अधिक फैलती है. प्लास्टिक को कई गंभीर बीमारियों का कारण माना जाता है.


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साभार 


इकोनामिक्स टाइम्स ड़ाट काॅम


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