ऐतिहासिक परकोटा बना लावारिस अतित के वैभव को याद कर गंदगी और अतिक्रमण से आहत अपनी दुर्दशा पर आँसु बहा रहा है। पुरातत्व समिति बनी मूक दर्शक
बुरहानपुर- बुरहानपुर जिले की सुंदरता को निखारने वाले ऐतिहासिक परकोटे पर नागरिकों द्वारा अतिक्रमण और गंदगी करके उसकी छवि को धूमिल कर क्षति पहुंचाई जा रही है ।
बुरहानपुर के ऐतिहासिक स्थलों का भ्रमण करने जब बाहर से कोई यात्रीगण आते हैं तो शहर में प्रवेश करते ही इन पर परकोटे की दुर्दशा देखकर सोचने को मजबूर हो जाते हैं कि जब ऐतिहासिक परकोटे की यह हालत है तो अन्य इमारतों की हालत क्या होगी?
नगर निगम के द्वारा भी यहां पर शनवारा में विद्युत मंडल विभाग के सामने परकोटे के पास फाइबर का अस्थायी मूत्रालय रख दिया है जिससे निकलने वाली गंदगी पूरी सड़क पर फैल रही है और क्षार से परकोटे की दीवारों का धीरे-धीरे क्षरण हो रहा है।और वहाँ पर इतनी गंदगी हो रही है कि वहाँ से पैदल गुजरना मुश्किल हो रहा है साथ ही दुर्गंध से पूरा इलाका भर जाता है । प्रतिदिन यहाँ से सैकड़ों लोग गुजरते हैं लेकिन किसी का ध्यान इस ओर नहीं जाता। यही नही बुरहानपुर के चारों ओर परकोटे की यहीं स्थिति लगभग सभी जगह है । मुख्य दरवाजों में शिकारपुरा दरवाजा, सिलमपुरा दरवाजा, राजपुरा दरवाजा, सिंधीपुरा दरवाजा, इतवारा दरवाजा की स्थिति अत्यंत दयनीय है। इन दरवाजे के पास गंदगी पड़ी हुई रहती है तथा रहवासियों ने अतिक्रमण कर पीछे से दीवारों को तोड़ना भी आरंभ कर दिया है। इसके साथ ही सतियारा घाट, राजघाट,इतवारा का पीपल घाट शिकारपुरा घाट भी अपनी हालत पर आँसु बहा रहा है लेकिन पुरातत्व समिति के पदाधिकारी आँखे मूंदकर बैठे हैं ।इसकी खोज खबर लेने वाला कोई नहीं है । लावारिस सा परकोटा अपने अतित के वैभव को याद करते हुए अपनी वर्तमान स्थिति पर आँसु बहा रहा है । ना तो पुरातत्व विभाग इसकी जिम्मेदारी ले रहा है ना राज्य शासन इस ओर ध्यान दे रहा है ना ही नगर पालिक निगम इसके मेंटेनेंस की जिम्मेदारी ले रहा है। अर्थात बुरहानपुर का यह ऐतिहासिक परकोटा अब लावारिस की हालत में खड़ा होने को मजबूर हो रहा है।
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आपके द्वारा संज्ञान में लाया गया है परकोटे के पास रखा फाइबर का अस्थायी मूत्रालय हटा दिया जाएगा और वहाँ सफाई कर दी जायेगी ।
बी. डी.भूमरकर
आयुक्त
नगर पालिक निगम
बुरहानपुर
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ऐतिहासिक परकोटा पुरातत्व विभाग के अधीन नहीं आता इसलिए हमारी ओर से इस पर कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती हम केवल नागरिकों को उसके संरक्षण की समझाइश दे सकते हैं।
सुभाष कुमार,
सहायक पुरातत्व अधिकारी बुरहानपुर