सोमवार, 21 अक्तूबर 2019

हनी ट्रैप / हाईकोर्ट ने शासन से कहा- आपकी सरकार, आपकी लैबोरेेटरी; ऐसे में निष्पक्ष जांच कैसे होगी

एसअईटी प्रमुख बदलने व केस सीबीआई काे साैंपने की याचिकाओ पर सुनवाई




इंदौर- नेताओ-अफसराें की ब्लैकमेलिंग से जुड़े बहुचर्चित हनी ट्रैप मामले में साेमवार काे मप्र हाईकाेर्ट की इंदाैर पीठ ने पुलिस की जांच पर सवाल उठाए।
काेर्ट मामले की जांच कर रही एसआईटी का प्रमुख बार-बार बदलने और केस सीबीआई काे साैंपने की मांग वाली याचिकाओ पर सुनवाई कर रही है।
पुलिस और  शासन की और से जब काेर्ट काे यह बताया गया कि आरोपी महिलाओं की आवाज, वीडियो की जांच भोपाल स्थित लैैब में कराई जा रही है !
तो इस पर कोर्ट ने मौखिक टिप्पणी में कहा कि निष्पक्ष जांच तो संभव ही नहीं है।
सरकार भी आपकी, लैब भी आपकी। सही रिपोर्ट कैसे आ सकती है। कोर्ट ने सभी वीडियो, आवाज के नमूने सहित एसआईटी द्वारा जब्त सभी इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेज हैदराबाद स्थित लैब मेंभेजने के आदेश दिए।
वहीं शासन द्वारा स्टेटस रिपोर्ट पेश नहीं करने पर 15 दिन में पेश करने के लिए कहा है। साथ ही इस केस के लिए एसपी अवधेश गोस्वामी को ऑफिसर इंचार्ज (ओआईसी) बनाया है।
जस्टिस सतीशचंद्र शर्मा, जस्टिस शैलेंद्रशुक्ल की डिविजन बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही है।
दो याचिकाएं दायर हुईं थी। कोर्ट दोनों की एकसाथ सुनवाई कर रही है। एसआईटी, शासन की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता रवींद्रसिंह छाबड़ा ने पैरवी की।
याचिकाकर्ताओं की ओर से सीनियर एडवोकेट अशोक चितले, लोकेंद्र जोशी, निधि वोहरा ने पैरवी की।
अब ओआईसी को अगले आदेश तक नहीं बदला जाएगा :हाई कोर्ट ने सुनवाई के बाद आदेश जारी कर दिए हैं कि इस केस के आरआईसी एसपी अवधेश गोस्वामी को तब तक नहीं बदला जाएगा जब तक कोई आदेश जारी नहीं करें।
वहीं एसआईटी के प्रमुख और सदस्यों को भी बगैर कोर्ट की अनुमति के हटाया नहीं जाएगा। एसआईटी के द्वारा जब्त सभी दस्तावेज की जांच हैदराबाद स्थित लैब में होगी। भोपाल स्थित सरकारी लैब इसकी जांच नहीं करेगी।


 सभी वीडियाे समेत इलेक्ट्राॅनिक दस्तावेजों की जांच अब हैदराबाद की लैब में ही होगी


 हाईकोर्ट ने एसआईटी को स्टेटस रिपोर्ट 15 दिन में जमा करने को कहा


काेर्ट लाइव : शासन ने कहा- पहले एसआईटी प्रमुख काे सरकार ने नहीं हटाया
हाईकोर्ट : जांच की स्टेट्स रिपोर्ट दीजिए और एसआईटी प्रमुख
क्यों बदले गए?


शासन : पहले एसआईटी प्रमुख ने अपनी पारिवारिक समस्या के चलते पद छोड़ा। सरकार ने नहीं हटाया।
हाईकोर्ट : संजीव शमी को क्यों हटाया?


शासन : सोशल मीडिया पर उनका नाम बहुत प्रचारित हो रहा था। जांच को मजबूती से कराने के लिए हमने उनके स्थान पर प्रदेश के सीनियर मोस्ट ऑफिसर में से एक राजेंद्रकुमार को प्रमुख बनाया है।


हाईकोर्ट : यह कोई कारण नहीं होता, किसी एसआईटी प्रमुख को हटाना। हमने स्टेट्स रिपोर्ट मांगी वह कहां है?
शासन : सीलबंद लिफाफा बोर्ड पर भेजा गया।


हाईकोर्ट : यह कोई स्टेटस रिपोर्ट नहीं है। सभी के बयान, नोटशीट, पुलिस की जांच रिपोर्ट कहां है !
शासन : अभी उपलब्ध नहीं है।


हाईकोर्ट : अगले 15 दिन में आप शपथ पत्र पर स्टेटस रिपोर्ट पेश करें।
हाईकोर्ट के रुख के मायने -हनी ट्रैप केस की निष्पक्ष जांच में दबाव काम नहीं करेगा
विजय रमन, रिटायर्ड आईपीएस (व्यापमं एसआईटी के मेंबर रहे)
हनी ट्रैप मामले में हाईकोर्ट द्वारा ओआईसी नियुक्त करने से जांच निष्पक्ष होने की उम्मीद जागेगी। एसआईटी में बार-बार बदलाव के बीच हाईकोर्ट की मानिटरिंग बेहद अहम है।
व्यापमं मामले में भी हाईकोर्ट की निगरानी से काफी मदद मिली थी। चीफ जस्टिस खानविलकर एसआईटी मेंबर से वन टू वन अपने चेंबर में बात करके समस्याएं जानते थे और जरूरी होने पर निर्देश देते थे।
हालांकि व्यापमं की एसआईटी जांच एजेंसियों और हाईकोर्ट के बीच सेतु के तौर पर काम करती थी। हनी ट्रैप मामले में एसआईटी ही जांच कर रही है। ऐसे में उन्हें साप्ताहिक या पाक्षिक रूप से एसआईटी को अपनी जांच रिपोर्ट बंद लिफाफे में हाईकोर्ट में प्रस्तुत करनी होगी।
जांच में कोई राजनीतिक दबाव होगा तो एसआईटी वह भी हाईकोर्ट को बता सकती है। कुल मिलाकर बार-बार एसआईटी में बदलावों से आम आदमी का जो भरोसा डिगा था, हाईकोर्ट की निगरानी से वह वापस लौटेगा।


साभार 


Rau anchal


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