बुधवार, 16 अक्तूबर 2019

जिम्मेदारी के दौर में पत्रकारिता के लिए साहसिक होने की  जरूरत है बैतूल जिले के  कोने-कोने में बारूद के ढेर...हकीकत 

जिम्मेदारी के दौर में पत्रकारिता के लिए साहसिक होने की  जरूरत है


बैतूल जिले के  कोने-कोने में बारूद के ढेर...हकीकत 


पड़ताल: अनहोनी की आशंका से सहमा जिला ,ग्रामीण और पहाड़ी क्षेत्र में खनन के लिए विस्फोटक का स्टॉक, बारुद के धमाकों से बिगड़ रहा संतुलन जिम्मेदारों के कानों में जूं तक नहीं रेंगती 


बैतूल 16 अक्टूबर।।वामन पोटे।। पूरा जिला बारूद के ढेर पर बैठा है। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है, क्योंकि खतरनाक विस्फोटक बिखरे पड़े हैं। कहीं खदानों में विस्फोटकों का प्रयोग हो रहा है तो कहीं पहाड़ी तोडऩे के लिए। हालात यह हैं कि इससे प्रकृति  का संतुलन बिगड़ रहा है। जिले में वैध, अवैध तरीके से विस्फोटकों का स्टॉक भी किया गया है। अधिकतर खदानों में विस्फोटकों का स्टॉक है, जबकि इन्हें स्टॉक की अनुमति ही नहीं है। गंभीर बात यह है कि जिला प्रशासन या पुलिस को पता ही नहीं कि जिले में कितने खदान आवंटियों के पास इसके लाइसेंस हैं। स्थानीय प्रशासन का तर्क है कि वह सिर्फ एनओसी जारी करता है। लाइसेंस नागपुर या आगरा से जारी होता है।बैतूल  जिले में फार्म एल इ 3 में ( नाइट्रेट मिक्चर एवं आर्डि ,डेटोनेटर )
विस्फोटक लायसेंस  सिर्फ 31 लोगों के पास ही है।जबकि फार्म एल इ 4 में ( ट्रेक्टर कम्प्रेशर ) विस्फोटक लायसेंस 21 लोगो को दिए गए है वही फार्म एल इ 5 में (आतिशबाजी एवं पटाखा भंडारण एवं विक्रय हेतु )विस्फोटक लायसेंस 39 लोगो को जारी हुए है ।
झाबुआ जिले के पेटलावद की घटना के बाद भी  जिला व पुलिस प्रशासन की नींद आज तक नही टूटी है और न ही कभी जांच कराई गई है कारण यह है कि सरकारी मुलाजिम और उनके रिश्तेदार भी लायसेंसी धारक है।
👍ये है हकीकत👍
बैतूल जिले में विस्फोटक पदार्थ बेचने वाले लाइसेंसी पैसे के लालच में खुलेआम महंगे दामों पर डेटोनेटर बेच रहे है 25 किलो के डेटोनेटर की पेटी जिसमे 200 डेटोनेटर होते है 6 हजार से आठ हजार में बेच रहे है ।हालांकि की इसकी अधिकृत कीमत दो हजार से भी कम है । जिला प्रशासन की एनओसी पर नागपुर-आगरा से लाइसेंस जारी होते  है परन्तु हर कोई अपना हिस्सा लेकर जांच नही करता है ।ग्रामीण क्षेत्रो में ब्लास्टिंग का काम करने वालो से हर महीने बड़े पैमाने पर अवैध वसूली होती है।
   
।।👍खनन पट्टे👍 ।।


बैतूल जिले में स्टोन क्रेशर की सख्या 102 है जबकि अभी 67 क्रेशर संचालित हो रहे है।जबकि माइनिंग प्लान में यह निर्धारित है कि कितना विस्फोटक का वे उपयोग कर सकते है।
👍इनमें उपयोग👍
पत्थर तोड़ने के लिए उपयोग परन्तु विस्फोटक की मात्रा निर्धारित है कि हर माह कितना विस्फोटक उपयोग किया जा सकता है ।परन्तु इसका जिले भर के  किसी भी स्टोन क्रेशरों पर पालन नही हो रहा है और निर्धारित मात्रा से सौ गुणा विस्फोटक का धड़ल्ले से उपयोग किया जा रहा है ।


👍इस पर प्रतिबंध👍


मुरम पहाड़ी के लिए विस्फोटक का उपयोग प्रतिबंधित है। इसके बावजूद  इसका उपयोग खुले आम और  चोरी-छिपे किया जा रहा है।


👍आपराधियो को भी सप्लाई👍


जिले में जिलेटिन, डाइनामाइट, डेटोनेटर व बारूद चोरी से बेचने का भी धंधा जोरों पर है। लाइसेंसी दुकानदार निगरानी के अभाव में आपराधिक  छवि के लोगों को भी विस्फोटक बेच रहे हैं। सूत्रों की मानें तो डेटोनेटर, जिलेटिन व डाइनामाइट की सप्लाई आपराधिक गतिविधियों में सक्रिय लोगों तक को भी हो रही है। जिला प्रशासन को पता ही नहीं कि कितनी मात्रा में हर महीने विस्फोटक लाए जाते हैं और किस-किस को बेचा जाता है।
👍अब यह कवायद👍
प्रशासन के निर्देश पर शस्त्र शाखा ने खनिज विभाग से जिले में संचालित खदानों की जानकारी मांगी है। इसी तरह के पत्र नागपुर व आगरा स्थित भारत सरकार के विस्फोटक नियंत्रक कार्यालय को भी भेजे गए हैं। लाइसेंस लेने वालों और मानकों के बारे में जानकारी मांगी है।
👍इनकी भी होगी जांच👍
पटाखा बनाने वाले और भंडारण करने वालों को भी संबंधित क्षेत्र के एसडीएम थाना प्रभारी ,तहसीलदार जांच करेंगे। सभी थाना प्रभारी  टीआई को अपने-अपने क्षेत्र में एेसे लोगों की जानकारी एकत्र करने के लिए लगा दिया गया है।
😢कभी डेटोनेटर जप्त नही हुए😢
बैतूल जिले में बड़े पैमाने पर भूख मिटाने के लिए नदियों में मछली मारने के लिए डेटोनेटर का उपयोग हो रहा है परन्तु  आज तक किसी भी विभाग ने अवैध डेटोनेटर  जब्त नही किए है । 
👌खदानों के लिए नियम👌
 महीने में पांच किलो से ज्यादा विस्फोटक का प्रयोग नहीं कर सकते।
 साल में सिर्फ 60 किलो विस्फोटक का प्रयोग करने की अनुमति।
 इससे ज्यादा मात्रा में विस्फोटक का प्रयोग करने पर कार्रवाई का प्रावधान।
 पुलिस, जिला प्रशासन या खनिज विभाग में कौन करेगा कार्रवाई तय नहीं।
👌बैतूल जिले  में खुले आम विस्फोटकों का प्रयोग👌
पहाड़ और स्टोन क्रेशर खदानों में डेटोनेटर व डाइनामाइट लगाकर अवैध तरीके से पहाड़ों को तोड़ा जा रहा है।  प्रशासन को यह सब पता है, लेकिन कभी कार्रवाई नहीं हुई।
👌 हर बार जुटा रहे ब्यौरा👌
जिले के टीआई सहित सभी पुलिस अधिकारियों को विस्फोटक सामग्री का विक्रय वैध या अवैध तरीके से करने वालों का ब्योरा जुटाने में हर बार लगा दिया जाता  है। उनके रख-रखाव की भी जांच होती है । एसडीएम, तहसीलदार को भी  अपने-अपने क्षेत्र में विस्फोटकों की जांच के लिए लगा दिया जाता   है। वे लाइसेंस के साथ ही मानकों और विक्रय आदि की भी जांच करते है किंतु आज तक विक्रय करने और भंडारण करने में कोई कमी नही मिली है।


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