सोमवार, 14 अक्तूबर 2019

जिम्मेदारी के दौर में पत्रकारिता के लिए साहसिक होने की जरूरत है

जिम्मेदारी के दौर में पत्रकारिता के लिए साहसिक होने की जरूरत है


बारूद के अवैध कारोबार का गढ़ है बैतूल 


धमाके की तीव्रता मापने का काम करने वाली एजेंसी कभी नही आती है 


,2010 ,2012 में विस्फोटक लदे ट्रक के गायब होने के तार भी बैतूल  से जुड़े है ?


बैतूल ।।वामन पोटे।।बैतूल जिले में अवैध खनन के लिए जिस तरीके से अवैध ब्लास्टिंग का उपयोग किया जा रहा है उसमें  बैतूल,आमला ,मुलताई  और भैसदेही  तहसील सबसे आगे है। यहां व्यापक पैमाने पर ब्लास्टिंग के लिये अवैध बारूद का उपयोग किया हो रहा।  बारूद कारोबारी की भूमिका संदिग्ध है। इसी तरह से 2010 और 2012 में विस्फोटक रसायन  से लदे ट्रक राजस्थान से निकलने के बाद  बीच रास्ते से गायब हुए  थे  । उस मामले का आज तक पूरा खुलासा नहीं हो सका है।
खनन कारोबार से जुड़े लोगों ने नाम न छापने पर बताया की बैतूल जिले में स्टोन क्रेशरों पर सबसे बड़ा अवैध खनन होता है। पत्थर तोडऩे के लिये यहां बड़े पैमाने पर अवैध ब्लास्टिंग की जाती है। चूंकि ज्यादातर कारोबार अवैध खनन का होता है ऐसे में इन्हें ब्लास्टिंग की अनुमति होती नहीं है और बड़े धमाके किये जाते है धमाके की तीव्रता मापने के काम करने वाली एजेंसी कभी नही आती है कि स्टोन क्रेशर पर किस तीव्रता के कितने धमाके किये जा रहे है और अनुमति कितनी तीव्रता के धमाके करने की दी गई है ।बड़ी मशीनों से चार और छह इंच के 50 से लेकर 100 फिट तक बोर किये जाते है और 25 ,25 और 50 ,50 किलो अमोनिया  नाइट्रेट एक एक बार मे एक बोर भरा जाता है और एक बार मे एक स्टोन क्रेशर पर एक हजार फीट से लेकर 2दो हजार फीट तक बोरिंग के 100 से लेकर 200 बोर किये  जाते है ।
 ।।विस्फोटक रसायन  ।।


पत्थर का दो नंबर का खनन करने के लिये जिले भर में कई कम्प्रेशर संचालक सक्रिय है। इनके द्वारा ट्रैक्टर संचालित कंप्रेशर के माध्यम से होल किया जाता है। जिसमें विस्फोटक रसायनों का उपयोग कर विस्फोट किया जाता है। इस प्रक्रिया में नाइट्रेट मिक्चर, डेटोनेटर, सेफ्टी फ्यूज आदि का उपयोग होता है। यह सामान अवैध खनन में चोरी छिपे इस्तेमाल किया जाता है। जिसकी सप्लाई ब्लास्टिंग कारोबारी बैक डोर से करते हैं।


ऐसे होता है खेल


स्टोन क्रशर  विस्फोटक रसायन की सप्लाई बैतूल ,भैसदेही ,खेड़ीसांवलीगढ़,चिचोली  क्षेत्र से होती है। इसमें एक्सप्लोसिव वैन सुबह-सुबह या फिर देर रात खदानों के पास या खदान संचालकों के पास पहुंचती है। इसके बाद यहां नाइट्रेट मिक्चर (अमोनियम नाइट्रेट), डेटोनेटर आदि सामग्री उतार दी जाती है। इस काम में  बिना नंबर की एक्सप्लोसिव वैन ज्यादातर देखी गई है। इस क्षेत्र में एक खदान संचालक ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि मंहगे दामों पर  माल लेते हैं। यह भी बताया गया है कि  क्षेत्र में विस्फोटक की दो नंबर की सप्लाई  होती है।


।।दो तरीके से बारूद सप्लाई ।।


बताया गया है कि विस्फोटक कारोबारी खदान संचालकों को दो तरीके से माल (विस्फोटक के लिये आवश्यक सभी सामग्री) देते हैं। पहला तरीका होता है कि अकेले विस्फोटक सामग्री देना दूसरा तरीका होता है विस्फोटक सामग्री के साथ ही ब्लास्टर भी देना। दूसरे तरीके में विस्फोटक कारोबारी बारुद देने के साथ खदान में ब्लास्टिंग भी करता है। पहले वाले तरीके में ब्लास्टिंग की जिम्मेदारी खदान संचालक की होती है। इसमें संचालक कंप्रेशर कारोबारियों को बुलाकर होल करवाता है और अपने लेबर से ब्लास्ट करवाता है।


ज्यादातर क्रेशर संचालक शामिल
अवैध ब्लास्टिंग के कारोबार में  क्षेत्र के ज्यादातर क्रेशर संचालक शामिल हैं। इनके द्वारा पत्थर का अवैध खनन किया जाता है जहां दो नंबर का बारूद इस्तेमाल होता है। लेकिन कभी गंभीरता से जांच नहीं होने के कारण ये बच जाते हैं। यदि क्रेशर द्वारा उपयोग की गई विद्युत की अकेले जांच कर ली जाए तो यह पता चल जाएगा कि इस क्रेशर से कितना मटेरियल निकला। जिसका वैधानिक तौर पर दिये गये पास से मिलान करके अंतर पता किया जा सकता है। यह अवैध खनन होगा और इसकी गहराई से जांच होगी तो अपने आप अवैध बारूद के उपयोग का खुलासा हो जाएगा। लेकिन अधिकारी खुद इस मामले में चुप्पी साधे रहते हैं।


।।कंप्रेशर का दुरुपयोग।।
दरअसल कंप्रेशर मूल रूप से ट्रैक्टर का एक अटैचमेंट होता है। जिसका उपयोग कृषि कार्य अथवा नलकूप या कुआ खनन के लिये दिखाया जाता है। इसलिये इसके अलग से पंजीयन का प्रावधान नहीं होता है। इसी का फायदा कंप्रेशर संचालक उठाते है। लेकिन जिम्मेदार महकमा यदि कंप्रेशर का उपयोग की गंभीरता से जांच करें तो बड़े खुलासे हो सकते है।


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