खाकी में अपराधी, भा.द.वि.और भ्रष्टाचार अधिनियम में अपराध दर्ज करने के लिए हाईकोर्ट में लगी याचिका, 01/11 को सुनवाई
(राजेन्द्र के.गुप्ता 98270-70242)
पद और अधिकारों का दुरुपयोग कर भ्रष्टाचार करना, आय से अधिक सम्पत्ति अर्जित करना, फरियादी को शासकीय आवास में बंधक बना कर फिरौती लेना, आरोपियों को बचाने के लिए न्यायालय में असत्य कथन करना, केस डायरी गुमा देना, नकली केस डायरी बनाना, छेड़छाड करना, लूट के आरोपियों को पकड़ कर छोड़ देना, कोर्ट के आदेश के बावजूद कार्यवाही नही करना, केदियों से साँठ-गाँठ कर उन्हें सुविधाएँ देना, झूठी रिपोर्ट दर्ज करना, मनमर्जी से आपराधिक धाराएँ लगा देना, वारंट के नाम पर वसूली करना, न्यायाधीश से शिष्टाचार नही बरतना, जप्त सामग्री ग़ायब कर देना, जप्त सामग्री की हेरफेर करना, जप्त शराब ग़ायब कर देना, क्राईम ब्रांच के आफिस में अवैधानिक तरीके से ला कर बंद रखना और रिश्वत लेना, रिश्वत लेकर परिजनों के बैंक खाते में जमा करना, वर्दी का रोब जमा कर वसूली करना, जुआरियों से जप्त रुपयों की हेराफेरी करना, बलात्कार के आरोपियों को बचाने के लिए ग़लत लिखा-पढ़ी करना, मृतक के द्वारा गोली चलाना बताना, भूमाफिया को अवैधानिक कार्य में सहयोग करना, जुआ-सट्टा संचालित करने देना, साक्ष्य ग़ायब करना, एनडीपीएस एक्ट के आरोपियों को बचाना, केस डायरी छुपाना, महिलाओं को अकारण रास्ते में रोकना, आरोपियों को ज़मानत करवाने में मदद करना, आरोपियों को पकड़ कर छोड़ देना, दूसरे अधिकारी की जाँच में हस्तक्षेप करना, वरिष्ठ अधिकारियों के आदेशों की अवहेलना करना आदि जैसे संगीन अपराधों को घटित करने वाले, दोषी पुलिस अधिकारी-कर्मचारी जिनमे एसपी से लेकर सिपाही तक शामिल है, वो इंदौर सहित मध्यप्रदेश के अलग-अलग जिलों में पदस्थ है। जाँच में आरोप सिद्ध होने के बावजूद दोषी पुलिस अधिकारियों के विरुद्ध भा.द.वि. और भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत प्रकरण दर्ज नही किए, ना ही ठोस कार्यवाही की ।आरटीआई में मिले दस्तावेज़ों के साथ आरटीआई कार्यकर्ता राजेन्द्र के.गुप्ता ने इंदौर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाख़िल की है जिस पर कल दिनांक 01/11/19 को प्रशासनिक जस्टिस एस.सी.शर्मा और जस्टिस विरेंद्र सिंह की डीबी बेंच में सुनवाई होना है। गुप्ता ने इससे संबंधित शिकायतें भी की थी ।