खण्डवा में भाजपा की किलेबंदी कांग्रेस के लिए कड़ी चुनौती !
खण्डवा , संजय चौबे । मध्यप्रदेश के पूर्व निमाड़ (खण्डवा ) सूबे में सत्ता परिवर्तन के बाद भी जिले में कांग्रेस की दशा और दिशा बदलना अब भी बड़ी चुनौती बना हुआ है । ऐसे में जिला प्रभारी मंत्री को बदलने की मांग ने एक बार फिर से सत्ता और संगठन के सामंजस्य की अनिवार्यता को रेखांकित कर दिया है । मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सत्ता संभालते ही अपने मंत्रिमंडल के सभी सदस्यों को काबीना मंत्री के रूप में पावरफुल बना कर कांग्रेस में नए सिरे से जान फूंकने की महती कवायद की । जिला प्रभारी मंत्री को अपने - अपने जिले में कांग्रेस को मजबूत करने की जिम्मेदारी दी गई । सूबे में खण्डवा जिला वर्षो से भाजपा के अभेद किले के रूप में पहचाना जाता है । बीते विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस जिले की चार सीटों में से मांधाता की एक मात्र सीट ही जीत पाई वो भी कम अंतर से । इस सूरत में प्रभारी मंत्री की जिम्मेदारी जहाँ एक ओर संगठन की चिरपरिचित गुटबाजी पर लगाम लगाकर तालमेल बैठाना था वहीं दूसरी ओर भाजपा के किले में सेंध लगाना भी था । जिला सरकार के जरिए जिले में कल्याणकारी योजनाओं का परिणाममूलक क्रियान्वयन भी कांग्रेस की जमीन बनाने के लिए अंगद के पैर की तरह अनिवार्य हो गया है । कांग्रेस में गुटबाजी स्थायी पहचान बन गई है । खण्डवा जिले भी इससे अछूता नही है । प्रभारी मंत्री बदलने की मांग ने एक फिर गुटबाजी को हवा दे दी है । वह भी ऐसे वक्त में जब पार्टी का सदस्यता अभियान जिले में शुरू नहीं हो सका है । प्रभारी मंत्री बदलो अभियान का क्या नतीजा निकलेगा इस पर सभी की नजरें लगी हुई हैं , इसी के साथ प्रभारी मंत्री का 9 माह का कार्यकाल भी सांगठनिक सामंजस्य की समीक्षा की मांग कर रहा है जिले के अधिकांश कांग्रेस जन भी मुखर होकर अपनी मंशा जता रहे हैं ।