रविवार, 24 नवंबर 2019

आखिर क्यों नहीं होती सत्ता में कार्यकर्ताओं की पूछपरख !! 

आखिर क्यों नहीं होती सत्ता में कार्यकर्ताओं की पूछपरख !! 


खण्डवा , संजय चौबे । किसी भी राजनैतिक दल की मजबूती उसका संगठन होता है और सत्ता की धुरी उसका निष्ठावान , कर्मठ और समर्पित कार्यकर्ता । पार्टी जब तक विपक्ष में होती है तब तक कार्यकर्ता उसका भगवान होता है । सत्ता की सी ढी कार्यकर्ता को विपक्ष तक माना जाता है । पार्टी विरोध के सभी कार्यक्रम कार्यकर्ताओ के दम पर ही आयोजित करती है । विपक्ष में कार्यकर्ताओं की भरपूर पूछपरख होती है । सत्ता का सुख जैसे - जैसे पार्टी भोगना शुरू करती है वैसे - वैसे ही कार्यकर्ताओ की पूछपरख भी कम होने लगती है। सत्ता में आम कार्यकर्ताओ की सबसे बड़ी शिकायत यही रहती है कि  मंत्री उनकी सुनते ही नहीं । सूबे में भी वर्तमान परिदृश्य इसी के आसपास घूमता दिखाई दे रहा है । जब भाजपा सत्ता में थी तो उसके कार्यकर्ताओ का भी दुखड़ा यही था अब कांग्रेस सत्ता में है तो कांग्रेस के कार्यकर्ताओं  का भी दर्द भाजपा कार्यकर्ताओं से जुदा नहीं । सूबे में भाजपा और कांग्रेस सांगठनिक चुनाव के जरिएअपनी मजबूती करने की फिराक में है । कांग्रेस में करीब 15 साल के वनवास के बाद सत्ता सुख आया है इसलिए उसके कार्यकर्ताओ की  छटपटाहट स्वाभाविक तौर पर ज्यादा है । हालांकि कांग्रेस के आला पदाधिकारी संगठन की मजबूती पर जोर देने की बात कह रहे हैं देखना होगा कि आने वाले समय में कार्यकर्ताओं की पूछपरख कितनी  और किस तरह की होती है ।


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