मंगलवार, 26 नवंबर 2019

बच्चों को समय, सम्पदा और सत्ता तो हम दे देते हैं, किंतु संस्कार, समझदारी और संयम नहीं दे पाते- विवेकानंद सागर जी

बच्चों को समय, सम्पदा और सत्ता तो हम दे देते हैं, किंतु संस्कार, समझदारी और संयम नहीं दे पाते- विवेकानंद सागर जी


खिरकिया।पांच दिवसीय पंच कल्याणक महोत्सव के तीसरे दिन मंगलवार  को गर्भ कल्याणक विधान किया गया। इंद्र-इंद्राणियों ने भगवान के गर्भावतरण के लिए माता की गोद भराई की पारंपरिक रस्में निभाईं।
इससे पहले सोमवार की रात सोलह स्वप्न दर्शन नाटक का मंचन किया। महोत्सव में सौधर्म इंद्र की सभा, कुबेर द्वारा फूलों की वर्षा, देवताओं द्वारा अयोध्या नगरी की सजावट तथा अष्ट कुमारियों द्वारा तीर्थंकर की माता की सेवा की गई।प्रगति स्कूल के सामने निर्मित पाण्डाल  में पंच कल्याण के तीसरे दिन मंगलवार को गर्भ कल्याणक के उत्तरार्ध की क्रियाएं की गईं। सुबह से ही पूजन पाठ व हवन का सिलसिला शुरू हो गया था। नित्य अभिषेक, शांतिधारा और गर्भ कल्याणक पूजन के बाद विश्व शांति के लिए शांति हवन भी पूजा स्थल पर किया गया। सुसज्जित प्रांगड़ में और मुनि श्री अजितसागर जी, मुनि श्री निर्लोभसागर जी, मुनि श्री निर्दोषसागर जी, एलक दयासागर जी और एलक श्री विवेकानंद सागरजी के प्रभावी संदेश के बीच भक्ति का अपूर्व दृश्य देखने को मिला।इस दौरान नवनिर्मित जिनालय का और शिखर का शुद्धिकरण किया गया।इस अवसर पर मुनि श्री अजितसागर महाराज ने कहा कि माँ वात्सल्य की और पिता भय का प्रतीक होता है।माँ की ममता और पिता की डांट बच्चों को संस्कारित करती है।तथा उन्हें गलत राह पर जाने से रोकती है।।वात्सल्य और भय से ही बच्चों का समाचीन निर्माण होता है।माँ के विचारों का प्रभाव गर्भस्थ शिशु पर पड़ता है। का स
इस दौरान
एलक विवेकानंद सागर जी ने कहा कि बच्चों को समय, सम्पदा और सत्ता तो हम दे देते हैं, किंतु संस्कार, समझदारी और संयम नहीं दे पाते।इसीलिए युवा पीढ़ी भटक रही है।माता पिता  पाश्चात्य संस्कृति से प्रभावित होकर आधुनिक उपकरणों में संलग्न है, जिससे बच्चों पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है।



पंच कल्याणक महोत्सव में धार्मिक क्रियाओं के साथ ही गर्भ कल्याणक के उत्तरार्द्ध से जुड़े सांस्कृतिक कार्यक्रमों का मंचन हुआ। तीर्थंकर की माता को भगवान के गर्भावतरण के साथ ही शुभ स्वप्न दिखाई देते हैं। इस नाटक का मंचन से पूरा पंडाल भक्तिमय हो गया।सभी प्रक्रियाएं प्रतिष्ठाचार्य विनय भैया के मार्गदर्शन में सम्पन्न हुई।


 


होनहार महापुरुष को जन्म देने वाली माँ धन्य होती है।कौशल्या, अंजना, त्रिशला, मरुदेवी आदि इसलिये जगत पूज्य हैं क्योंकि इन्होंने राम, हनुमान, महावीर और ऋषभदेव जैसे महापुरुषों को जन्म दिया।यह बात मुनि श्री अजितसागर जी महाराज ने पंचकल्याणक महोत्सव के तीसरे दिन मंगलवार को अपनी दिव्य देशना में कही।उन्होंने कहा कि स्त्री पर्याय तभी धन्य होती है जब उसकी संतान सद्कार्य सदाचरण करती है।दीपक मात्र लोक को प्रकाशित करता है।परंतु संस्कारित कुलदीपक तीनों लोकों को प्रकाशित करते हैं।इससे पहले मुनि श्री निर्लोभसागर जी महाराज ने कहा कि मानव पर्याय दुर्लभ है इसलिए इस पर्याय का सदुपयोग करना चाहिए।शरीर के सुख और इंद्रियों के क्षणिक सुख के लिए जीवों को कष्ट नहीं देना चाहिए।


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