बौद्ध भिक्षुओं का वर्षावास समापन समारोह -धम्म विश्व संस्कृति को जोड़ता है- भन्ते शाक्यपुत्र सागर थेरो, बौद्ध धम्मगुरू
मैत्रीय बुद्ध महाविहार उपासक/ उपासिका संघ एवं दी बुद्धभूमि धम्मदूत संघ का संयुक्त आयोजन वर्षावास समापन समारोह २०१९ आज कार्तिक पूर्णिमा आज दिनांक 12 नवंबर मंगलवार को भोपाल स्थित बौद्ध समुदाय की पावन हृदयस्थली बुद्धभूमि मैत्रीय बुद्ध महाविहार,चुना भट्टी,कोलार रोड में बौद्ध धम्मगुरू भन्ते शाक्यपुत्र सागर थेरो एवं उनके शिष्यों का वर्षावास समापन समारोह कार्तिक पूर्णिमा के पावन अवसर पर महापवारना कठीन चीवर दान के रुप में बहुत ही कृतज्ञताओं के साथ पुण्य वितरण कर बौद्ध अनुयायियों ने कार्यक्रम संपन्न किया ।
समापन समारोह कार्यक्रम की शुरुआत सर्वप्रथम कठिन चिवर दान धम्म रैली से प्रारंभ हुई जिसमें बौद्ध धर्मावलंबियों ने सर पर काषाय वस्त्र (बौद्ध भिक्षुओं का चीवर) पर पुष्पों की वर्षा करते हुए बुद्ध शरणं गच्छामि, धम्म शरणं गच्छामि, संघं शरणं गच्छामि के पवित्र नारों के साथ विश्व शांति के लिए समर्पित विशाल तथागत भगवान बुद्ध मूर्ति के समक्ष बौद्ध भिक्षु एवं बौद्ध अनुयायियों सैकड़ों दीप जलाकर बुद्ध वंदना लेकर रैली का समापन किया.तत्पश्चात मैत्रीय बुध्द महाविहार में बौद्ध भिक्षुओं को बौद्ध अनुयायियों ने काषाय वस्त्र कृतज्ञताओं के रूप में दान किया एवं अष्ट परिष्कार दान देते हुए इस पुण्य को सभी प्राणी मात्र के कल्याण के लिए मंगल मैत्री के रूप में वितरण किया.इस अवसर पर बौद्ध भिक्षुओं ने परित्राण पाठ करते हुए धम्म देशना देकर आशीर्वाद प्रदान किया. वर्षावास समापन के पावन अवसर पर भन्ते शाक्यपुत्र सागर थेरो ने कहा की धम्म मानव के सामाजिक जीवन का केंद्र तथा समाज सभ्यता का अंत: स्थल है। धम्म समाज को विकसित करने एवं सुव्यवस्थित रखने में महत्वपूर्ण घटक है। धार्मिक प्रेरणा से ही समाज के लोग सत्कर्मों की ओर अधिक उन्मुख होते हैं और जहा सत्कर्मों का बाहुल्य होगा वह समाज अपने आप में आदर्श बनेगा. धर्म ही व्यक्ति व्यक्ति में,व्यक्ति और परिवार में, परिवार व समाज में ,समाज और राज्य में तथा राष्ट्र और राष्ट्र के बीच समन्वय का आधार प्रस्तुत करता है। अर्थात धम्म विश्व संस्कृति को जोड़ता है तथा मानव की भलाई के लिए भौतिक सामाजिक आध्यात्मिक कल्याण का मार्ग प्रशस्त करता है.
माननीय पीसी शर्मा,मंत्री ने कहा कि गौतम बुद्ध महान समाज सुधारक थे उनकी सामाजिक परिकल्पना में मानव मूल्यों पर आधारित स्वतंत्रता,मानव समता, विश्वबंधुता, धर्म स्वतंत्रता एवं विभिन्न संस्कृतियों के प्रति समभाव का गौरवपूर्ण स्थान है। अभी तक विश्व के अन्य किसी भी देश में ऐसे आदर्श समाज की स्थापना संभव ना हो सकी है। बुद्ध के जीवन और दर्शन में मानवीय एवं सामाजिक कल्याण की आदर्श परिकल्पना सर्वोपरि है. उनके दार्शनिक विचारों में समाज को सुधारने के लिए मुख्यतः प्रेम,अहिंसा,दया, सत्य, त्याग, परोपकार, करुणा, सहानुभूति, सहिष्णुता, संयम, सेवा, आदि का मनुष्य के हृदय में होना परम आवश्यक माना गया है। संपूर्ण बौद्ध दर्शन के अंतर्गत इन्हीं नैतिक सद्गुणों मूल्यों पर आधिक बल दिया गया है*।
कार्यक्रम की अध्यक्षता मा.वी के बाथम, सेवानिवृत आईएएस, मध्यप्रदेश शासन ने कहा बौद्ध धर्म के लिए कर्म सिद्धांत नैतिक जीवन का मूल प्रेरणा स्रोत माना जा सकता है लेकिन जो विज्ञजन है उनके लिए नैरात्म्य़ का अंदरूनी बोध उनके नैतिक जीवन का मुख्य आधार हो सकता है। सभी प्राणियों की शुन्यता का साक्षात्कार, परिणाम स्वरुप सभी प्राणियों की परस्पर की समता की अनुभूति यही वही बोध है जो मैत्री,करुणा, मुदिता का मूल स्रोत है जो सभी शुभ- कर्मों के मूलाधार है।
विशिष्ट अतिथि रुप में मा संजीव सक्सेना,महासचिव, मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी , डॉ साहेबराव सदावर्ते,डीन,पीपुल्स कॉलेज ऑफ मेडिकल, एस एस कुमरे,सेवानिवृत आईएएस, सुनिल बोरसे,महासचिव,मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी, गुडडू चौहान पाषऺद,अविनाश कड़वे प्रदीप रामटेके ,राहुल जाधव* इस अवसर पर कार्यक्रम में अपने उद्बोधन व्यक्त किया .
इस अवसर पर विशेष रूप पुज्य भंते धम्मपाल , हैदराबाद, पुज्य भंते सुगतान्द, बेंगलुरु, भंते राहुलपुत्र, भंते कश्यप पुत्र, भंते सुमेध पुत्र, भंते आर्यपुत्र, श्रामनेर रेवतपुत्र,श्रामनेर आनंद पुत्र, श्रामनेर उपालीपुत्र, श्रामनेर सारिपुत्र, मैत्रीय बुद्ध महाविहार उपासक/ उपासिका संघ के रामप्रसाद सिलोरिया,चंद्रप्रकाश गोलाईत,चंद्रभान वासनिक,पीजी पूसे, ईंजी.आर के दादोरिया, एल एल अहिरवार, उमेश भीमटे, चरणदास बोधांटे, खुशाल सोमकुंवर, दिवाकर गजभिए, हरीमनी चौधरी,एम एस टीटोरिया, संदीप सुल्ताने, वंदना मुलताईकर,स्वाति आशा, संघमित्रा डोगरदिवे, सत्यशीला दूधमल,सुशीला गजभिए,पंचशिला गणवीर, रेखा मेश्राम,वैशाली मनोहर,पदमा शिरसाट, सुनीता सेजवाल, प्रभा शेडें, बेबी दुपारे, स्वाति दूधमल, उज्जवला वाकोड़े, जया मोडघरे अजय भावे ,शोभा चहान्दे, शोभा लोखंडे, सुशील तागडे,छाया खरात, रेणुका थोरात, मंगला मगरे ,प्रकाश गायकवाड,निरज शेजुलकर,श्यामलाल रामटेके,पी डी वासनिक आदि सैकड़ों लोग कार्यक्रम में उपस्थित होकर इस पुण्यमय कार्यक्रम के सहभागी हुए।