शुक्रवार, 22 नवंबर 2019

बुरहानपुर के केले की पहुंच भारत देश के दक्षिण छोर तक

बुरहानपुर के केले की पहुंच भारत देश के दक्षिण छोर तक


बुरहानपुर  -ऐतिहासिक जिला बुरहानपुर जहां अपनी पहचान पर्यटन के क्षेत्र में स्थापित किये हुए है। वही बुरहानपुर के केले की प्रसिद्धि कम नही आंकी जा सकती। वहीं केले अपनी जगह है उसका फायबर भी कहीं तक पिछे नहीं है। सुखपुरी रोड़ जैनाबाद में अवस्थित संस्थान जो मेहुल एम.श्रॉफ के निर्देशन में संचालित की जा रहा है।
श्री श्रॉफ द्वारा बताया गया कि प्रधानमंत्री एमप्लायमेंट प्रोग्राम की सहायता से यह ईकाइ स्थापित की गई है। इस ईकाइ में केले के तने से फायबर (धागा) तैयार किया जा रहा है। इस प्रक्रिया में सबसे पहले केले के बडे़ तने को कटर मशीन के माध्यम से काटा जाता है उसके बाद उसे छिलकर फायबर के रूप पृथक करने वाली निष्कर्षण मशीन में डाला जाता है। निकले हुए फायबर (धागे) को धूप में सूखाकर मजबूत किया जाता है।
इस प्रक्रिया में निकले अवशेष पदार्थ जो किसी कार्य उपयोगी नहीं होते उनसे खेतो के लिए खाद भी तैयार किया जाता है। जो कि भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ाने के लिए मदद्गार साबित हुआ है। इस कार्य से लोगों को रोजगार प्राप्त हो रहा है। जिसमें महिला श्रमिक भी उत्साह के साथ अपना योगदान दे रही है।
तैयार किये गये फायबर बुरहानपुर जिले से भारत के दक्षिण क्षेत्रों में निर्यात किये जाते है। इन फायबर से चटाई, पर्दे, सजावटी वस्तुएँ, टोकरियाँ इत्यादि उपयोगी वस्तुएँ बनायी जाती है। ये फायबर मजबूत होते है जो आसानी से नहीं टूटते है। निर्मित खाद का प्रयोग किसानों के द्वारा अपने खेतों में उर्वरक शक्ति बढ़ाने के लिए किया जाता है।


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