गांव में टॉयलेट के लिए 11 साल की बेटी ने रोजाना 10 किलोमीटर तक नाव चलाकर जुटाई ईंट और सीमेंट
कुछ करने कर मजबूत इरादा हो तो उम्र और ताकत उसमें बाधा नहीं बन सकती। इसे सच कर दिखाया मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले के एक छोटे से गांव में रहने वाली महज 11 साल की बेटी ने। ग्राम पंचायत मगरा के मिढ़की गांव में रहने वाली महज 11 साल की साक्षी यादव ने वह कारनामा कर दिखाया, जिसके बारे में गांव के बड़े-बुजुर्ग ने कभी सोचा ही नहीं था।
जबलपुर। कुछ करने कर मजबूत इरादा हो तो उम्र और ताकत उसमें बाधा नहीं बन सकती। इसे सच कर दिखाया मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले के एक छोटे से गांव में रहने वाली महज 11 साल की बेटी ने। ग्राम पंचायत मगरा के मिढ़की गांव में रहने वाली महज 11 साल की साक्षी यादव ने वह कारनामा कर दिखाया, जिसके बारे में गांव के बड़े-बुजुर्ग ने कभी सोचा ही नहीं था। सरकार के नुमाइंदे भी इस बारे में जानते हुए अंजान बने थे। अपनी मेहनत और लगन के कारण ही आज यह छोटी सी बेटी पूरे प्रदेश के लिए एक मिसाल बन गई है। सभी उसकी सराहना कर रहे हैं।
आज से 29 साल पहले जबलपुर और मंडला के बीच बरगी डैम का निर्माण किया गया। जिस कारण बरगी डेम के आसपास के दर्जनों गांव डूब क्षेत्र में आ गए। डैम में पानी भरने के कारण ग्राम पंचायत मगरा का मिढ़की गांव जबलपुर और मंडला जिले से सड़क मार्ग से पूरी तरह कट गया। गांव वालों के आय का मुख्य साधन खेती भी पूरी तरह चौपट हो गई। जिसकी वजह से कई परिवार यहां से पलायन कर गए। वर्तमान में गांव में महज 10 परिवार ही रहते हैं। इनमें 55 लोग ही बचे हैं। अब ये लोग थोड़ी बहुत सब्जी उगाकर और मछली पालन कर अपना गुजर-बसर करते हैं। गांव की आबादी कम होने के कारण सरकार ने भी गांव की तरफ से मुंह मोड़ लिया। गांव को उसके हाल पर छोड़ दिया गया, लेकिन महज 11 साल की बेटी को गांव की यह बदहाली मंजूर नहीं थी। उसने बुनियादी सुविधाओं के लिए अकेले संघर्ष करना शुरू किया और गांव की काया पलट दी। घर-घर में टॉयलेट बन गए हैं। गांव में बिजली पहुंच गई और पूरा गांव रोशन है। साथ ही अन्य सरकारी योजनाएं भी गांव में पहुंचने लगी हैं।
गांव में टॉयलेट के लिए मासूम ने खुद 10 किमी तक रोजाना चलाई नाव
साक्षी के मुताबिक वह रोजाना रेडियो पर प्रधानमंत्री के स्वच्छ भारत और शौचालय निर्माण के बारे में सुनती थी। लेकिन गांव के किसी भी घर में एक भी शौचालय नहीं था। इसी बीच कक्षा 8वीं में पढ़ने वाली साक्षी की मुलाकात एक दिन पंचायत सचिव से हो गई। साक्षी ने बताया कि वह गांव से नाव चलाकर 10 किलोमीटर दूर स्थित मगरा में राशन लेने गई थी। वहां उसकी मुलाकात पंचायत के सचिव रूपराम सेन से हुई तो उन्होंने भी शौचालय का महत्व बताया। इसके बाद साक्षी ने गांव में टॉयलेट का निर्माण कराने का मन बना लिया। वह मगरा से गांव लौटते वह बरगी डैम में नाव चला रही थी और गांव में टॉयलेट बनवाने के बारे में सोच रही थी। इरादा पक्का करने के बाद वह दोबारा पंचायत सचिव से मिली और गांव में टॉयलेट बनवाने की बात कही, तो उन्होंने मदद का भरोसा दिया, लेकिन कहा कि जरूरी सामान जैसे ईंट, रेत, सीमेंट, सरिया और गांव तक कैसे जाएगा। इस पर साक्षी ने कहा उसका इंतजाम वह खुद कर लेगी। इसके बाद साक्षी रोजाना बरगी डैम में 10 किलोमीटर तक नाव चलाकर मगरा जाती और वहां से सीमेंट-ईंट, रेत खरीदकर नाव से गांव ले आती। उसकी मेहनत के कारण उसके घर में शौचालय बना तो गांव के अन्य लोग भी जागरूक हुए और इसके लिए पहल की। जो लोग तैयार नहीं थे उन्हें भी साक्षी ने समझाया। धीरे-धीरे गांव के हर घर में शौचालय बन गया। आज यह गांव ओडीएफ घोषित हो चुका है।
गांव तक पहुंचना किसी टेढ़ी खीर से कम नहीं
साक्षी के गांव के पास डैम बनने की वजह से यहां पहुंचने का कोई सीधा रास्ता नहीं है। स्वच्छ भारत मिशन की ब्लॉक समन्वयक सुषमा सरफरे बताती हैं कि गांव में पहुंचने के दो रास्ते हैं। एक मंडला जिले से होते हुए और दूसरा 10-12 किमी नाव चलाकर बरगी डेम को पार करते हुए। मंडला जिले से आना मुश्किल है, क्योंकि सड़क कठौतिया तक ही बनी है। वहां से 4 किमी तक घने जंगल के रास्ते पगडंडी ही है। सरकारी अधिकारी रोजाना गांव नहीं जा सकते थे, इसलिए गांव की ही पढ़ी-लिखी लड़की साक्षी को जागरूक करने के लिए चुना था। जिला समन्वयक अरुण सिंह बताते हैं कि साक्षी की सूझबूझ और सरकारी अनुदान की वजह से 3 महीने में पूरा गांव ओडीएफ हो गया। साक्षी की वजह से पूरी तरह से गांव की तस्वीर बदल गई है।
मगहा पंचायत के गांव पर खास ध्यान
जिला पंचायत की सीईओ रहीं हर्षिका सिंह ने बताया कि मगरा के 4 गांव इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि यह दुर्गम क्षेत्र है। साक्षी यादव ने इतनी छोटी उम्र में जो कमाल किया है वास्वत में बहुत अच्छा है। आज साक्षी की वजह से पूरा गांव ओडीएफ हो गया है। उन्होंने बताया कि साक्षी के अलावा मगरा के एक युवक ने अपने दोस्त की शादी में टॉयलेट गिफ्ट किया था तो कठौतिया में राजा पचौरी नामक युवक शहर से साइकिल से सामग्री लाया और घर में शौचालय बनाया। हमारी कोशिश खासकर युवाओं को जागरूक करने की भी है।
साभार
अमर उजाला