शनिवार, 23 नवंबर 2019

इस बार भी दसवीं-बारहवीं परीक्षा के रिजल्ट अच्छे नहीं आये तो प्राचायों-शिक्षकों के विरूद्ध होगी कार्यवाही

इस बार भी दसवीं-बारहवीं परीक्षा के रिजल्ट अच्छे नहीं आये तो प्राचायों-शिक्षकों के विरूद्ध होगी कार्यवाही
प्राचार्यों की बैठक में कलेक्टर ने दिये बोर्ड परीक्षाओं में परफार्मेंस सुधारने के निर्देश
 


 

 

 
   

जबलपुर-कलेक्टर श्री भरत यादव ने आज शनिवार को जिले में स्थित सभी हाई स्कूल एवं हायर सेकेण्डरी स्कूलों के प्राचार्यों की बैठक लेकर दसवीं-बारहवीं की वार्षिक परीक्षा परिणामों में गुणात्मक सुधार लाने के निर्देश दिये हैं। श्री यादव ने कहा कि बोर्ड परीक्षाओं के रिजल्ट  का जिम्मेदार संबंधित शाला के प्राचार्य और शिक्षकों को माना जायेगा और यदि इस बार भी पिछले वर्ष की तरह खराब परीक्षा परिणाम आये तो उन पर सख्त कार्यवाही होगी।
    शाला प्राचार्यों की यह बैठक कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में आयोजित की गई थी।  बैठक में जिला पंचायत के सीईओ प्रियंक मिश्रा, जिला शिक्षा अधिकारी सुनील नेमा, जिला परियोजना समन्वयक डॉ. आर.पी. चतुर्वेदी, सहायक संचालक शिक्षा अजय दुबे एवं सभी शाला संकुल प्राचार्य भी मौजूद थे।
    कलेक्टर ने बैठक में प्राचार्यों से कहा कि उन्हें अभी से परीक्षाओं की तैयारियों में जुट जाना होगा।  उन्होंने प्री-बोर्ड परीक्षाओं की तर्ज पर छात्र-छात्राओं की त्रैमासिक परीक्षा लेने के निर्देश भी दिये और पढ़ाई में कमजोर बच्चों की रेमेडियल क्लास लगाने की हिदायत दी। कलेक्टर ने कहा कि जिन शालाओं में गणित, विज्ञान और अंग्रेजी के शिक्षकों के पद रिक्त हैं वहां अतिथि शिक्षकों की पदस्थापना की कार्यवाही शीघ्र पूरी कर लेनी चाहिए।  उन स्कूलों में जहां इन विषयों के अतिथि शिक्षक भी नहीं मिल रहे हैं वहां आसपास के स्कूलों के शिक्षकों की ड्यूटी लगाकर अतिरिक्त कक्षायें लगानी होगी।
    श्री यादव ने कहा कि यदि शिक्षक और प्राचार्य ठान ले तो कोई कारण नहीं कि दसवीं-बारहवीं के परीक्षा परिणाम को सुधारा न जा सके।  उन्होंने कहा कि जिस तरह पिछले वर्ष जबलपुर जिले का परफार्मेंस दसवीं-बरहवीं परीक्षाओं में नीचे गया है, इस बार शिक्षकों एवं प्राचार्यों को उसी अनुपात में परफार्मेंस को सुधारने के व्यक्तिगत रूप से प्रयास करने होंगे।
    कलेक्टर ने बैठक में साफ तौर पर कहा कि बोर्ड परीक्षाओं के परिणाम खराब आने पर किसी को बख्शा नहीं जायेगा ओर न ही किसी तरह की बहानेबाजी स्वीकार की जायेगी । हर प्राचार्य एवं शिक्षक को यह समझ लेना होगा कि बच्चों की पढ़ाई के प्रति लापरवाही बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं होगी। उन्होंने कहा कि प्राचार्यों को परीक्षाओं में अच्छे परिणाम लाने के लिए योजनाबद्ध तरीके से काम करना होगा।  तीन महीने का समय उनके पास है।  उन्हें हर घंटे हर पीरियड का सदुपयोग अच्छा रिजल्ट लाने के लिए करना होगा।
    कलेक्टर ने कहा कि वे खुद ग्रामीण क्षेत्र में अपने प्रवास के दौरान स्कूलों का निरीक्षण करेंगे और परीक्षाओं के लिए तैयारियों का जायजा लेंगे।  उन्होंने प्राचार्यों से कहा कि उन्हें अधीनस्थ शिक्षकों पर भी सख्ती बरतनी होगी। यदि सख्ती बरतने पर प्राचार्यों के खिलाफ शिकायतें आती है तो प्रशासन का उन्हें पूरा संरक्षण मिलेगा।  श्री यादव ने कहा कि वे शिक्षकों के खिलाफ कठोर कार्यवाही के पक्षधर नहीं हैं लेकिन बोर्ड परीक्षाओं में उन्हें अपनी शाला का परफार्मेंस सुधारना ही होगा।
    कलेक्टर ने कहा कि यह हमारे लिए आत्म अवलोकन का विषय है कि डिण्डौरी जैसा सुविधाविहीन जिला बोर्ड परीक्षाओं में अच्छे परिणाम ला सकता है तो क्या कारण है कि हमारा प्रदर्शन बेहतर होने की बजाय नीचे जा रहा है। उन्होंने कहा साधन-सुविधाओं के मामले में जबलपुर जिला डिण्डौरी से बहुत ज्यादा आगे है।  अंग्रेजी, गणित, विज्ञान जैसे विषयों के शिक्षकों की कमी यहां भी है तो वहां और ज्यादा होगी। फिर भी डिण्डौरी जिला बेहतर परिणाम ला रहा है तो हमारे लिए यह आत्म मंथन का विषय होना चाहिए।
    श्री यादव ने इस मौके पर कहा कि वार्षिक परीक्षाओं की तैयारियों के मद्देनजर शिक्षकों की ड्यूटी अब किसी अन्य गतिविधियों में जब तक की बहुत ज्यादा अनिवार्य न हो नहीं लगाई जायेगी।  उन्होंने ऐसे छात्रों को नोटिस जारी करने के निर्देश भी बैठक में दिये जो शाला से अक्सर अनुपस्थित रहते हैं अथवा जिनकी उपस्थिति 60 प्रतिशत से कम है।  कलेक्टर ने कहा कि ऐसे छात्रों को स्वाध्यायी घोषित करने की कार्यवाही की जाये।
    कलेक्टर ने वार्षिक परीक्षाओं के मद्देनजर शिक्षकों के सभी तरह के अवकाश पर जब तक कि बहुत ज्यादा अनिवार्य न हो रोक लगाने के निर्देश दिये।  उन्होंने अच्छा रिजल्ट लाने की दिशा में प्राचार्यों को टीम वर्क में कार्य करने और शाला में पदस्थ शिक्षकों का नेतृत्व करने की सलाह दी। श्री यादव ने कहा कि बच्चों का भविष्य शिक्षकों के हाथ में है।  शिक्षकों को इस पर गौर करना होगा और कड़ी मेहनत करके अपनी शाला का रिजल्ट शत-प्रतिशत नहीं तो कम से कम 70 से 80 फीसदी लाना ही होगा।
    श्री यादव ने इस अवसर पर शाला प्राचार्यों से कहा कि उन्हें अपनी शाला का परफार्मेंस सुधारने के लिए स्व-निर्धारित लक्ष्य तय करना होगा और उसे पाने के लिए छात्र-छात्राओं के साथ परिश्रम करना होगा।  उन्होंने कहा कि जिन शालाओं के अच्छे परीक्षा परिणाम आयेंगे वहां के प्राचार्यों को सम्मानित किया जायेगा।  जबकि खराब परफार्मेंस वाले संस्थाओं के प्राचार्यों एवं शिक्षकों को कार्यवाही का सामना करना पड़ेगा।  श्री यादव ने कहा कि शिक्षकों के पदस्थापना एवं स्थानांतरण में भी उनके परफार्मेंस को आधार बनाया जायेगा।  ग्रामीण क्षेत्र में रहकर अच्छा परीक्षा परिणाम लाने वाले शिक्षकों को शहर में पोस्टिंग दी जा सकती है वहीं खराब परिणाम आने पर जिले से बाहर भी किया जा सकता है।  श्री यादव ने कहा कि शाला संकुल प्राचार्यों की भी संकुल में आने वाली शालाओं के परीक्षा परिणामों के लिए जवाबदेह माना जायेगा।
    बैठक में पिछले वर्ष हाई स्कूल और हायर सेकेण्डरी परीक्षा में 30 फीसदी से कम परीक्षा परिणाम वाली शालाओं के प्राचार्यों से इसकी वजह जानी गई और उन्हें इसके सुधार लाने के सख्त निर्देश दिये गये।




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