केला पौधों पर सिंगाटोका बीमारी की संभावनाएँ, यह करें उपाय
बुरहानपुर - जिले बुरहानपुर के केला उत्पादक कृषको को सूचित किया जाता हैं कि केला फसल पर सिंगाटोका (कर्पा) का प्रकोप होने कि सम्भावना हैं। यह जानकारी उद्यानीकि उपसंचालक श्री आर.एन.एस.तोमर ने जानकारी देते हुए बताया कि उनके भ्रमण के दौरान कुछ खेतो में केला फसल पर सिंगाटोका के लक्षण देखे गये हैं।
यह एक फंगस जनित बीमारी है जो कि अनुकुल मौसम मिलने पर, बरसात एवं सर्दी में होती है। जिससें पौधों के निचले पत्ते पिले पडकर सूखने लगते हैं, जिससे उत्पादन प्रभावित होता एवं फल समय से पूर्व पकने लगते हैं जिससे बाजार में मूल्य नही मिल पाता हैं।
इस बिमारी में फुफंद नाशक दवाई का उपयोग पत्तो पर करना चाहिए ड्रिप से नही दिया जाना चाहिए। अतः केला फसल उत्पादक कृषको को सलाह दी जाती हैं कि, केले के नवीन बगीचे में जिन पोधों पर नीचे पत्तिया सुख गई हैं या पिली हो रही हैं उन्हे निकालकर खेत के बहार फेक एक जगह गड्डों में इकठ्ठा कर जला देना चाहिए। उसके उपर 2 ग्र्राम बाविस्टीन दवाई (कार्बेन्डाजिम) प्रति लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें। बगीचे में जो खरपतवार हैं उन्हंे निकालकर बगीचे को साफ सुथरा रखे। केले के तने पर एवं पत्तो पर कार्बेन्डाजिम (बाविस्टीन) 30 ग्र्राम दवाई एवं 50 बीनोईल ऑईल प्रति पम्प में मिलाकर स्प्रे करें या केले के तने पर एवं पत्तो पर प्रोपिकोनाजोल 30 ग्राम दवाई एवं 50 बीनोईल ऑईल प्रति पम्प में मिलाकर स्प्रे करें।