गुरुवार, 14 नवंबर 2019

नेहरू चाचा आओ ना, दुनिया को समझाओ ना, अर्वाचीन इंडिया स्कूल में बाल दिवस पर आयोजित हुआ कार्यक्रम

नेहरू चाचा आओ ना, दुनिया को समझाओ ना,
अर्वाचीन इंडिया स्कूल में बाल दिवस पर आयोजित हुआ कार्यक्रम



बुरहानपुर। शहर के सुपरिचित विद्यालय अर्वाचीन इंडिया स्कूल के गुरूजनों ने 'बाल-दिवस' गरिमा के साथ मनाया। इस दौरान अनेक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया और प्रतियोगिताओं में सम्मिलित प्रतिभागियों को सम्मानित भी किया गया।
संस्था के जनसंपर्क अधिकारी मिर्जा राहत बेग ने बताया कि स्कूल में आयोजित कार्यक्रम में एक नन्हे से अर्वाचीयन ने जब चाचा नेहरू की वेशभूषा में कार्यक्रम मंे प्रवेश किया तो सभी ने उनका जोरदार करतल ध्वनि के साथ स्वागत किया। नेहरूजी की उपस्थिति में शाला परिवार के शिक्षक-शिक्षिकाओं ने अपने छा़त्र-छात्राओं के लिए सुरूचिपूर्ण कार्यक्रम प्रस्तुत किया। वरिष्ठ शिक्षिकाओं ने गीत-गायन के माध्यम से बाल-दिवस का संदेश दिया, तो कनिष्ठ शिक्षिकाओं ने नृत्य के माध्यम से विद्यार्थियों को आशीष दिए। शाला के शिक्षकों ने नृत्य-नाटिका के माध्यम से विद्यार्थियों को अनुशासन एवं शिक्षा का महत्व सिखाया, यह लघु हास्य नाटिका, हास्य और व्यंग के माध्यम से छात्रों को समय की कीमत समझाने में सफल रही। अपने विद्यार्थियों के लिए कुछ रोचक, ज्ञानपूर्ण कार्यक्रम करने की उत्कंठ इच्छा ने शिक्षकों के उत्साह को दुगना कर दिया। गीत-संगीत के माध्यम से गुरूजनों के आशीष के साथ, चाचा नेहरू के सपनों का बखान भी किया और चाचाजी के स्वर्णिम भारत को हम किस तरह साकार कर सकते है, ये समझाया। शाला के कोरियोग्राफर शुभम निबाड़कर ने 'मैय्या यशोदा..' गीत पर मनमोहक प्रस्तुति दी।
विद्यालय की निर्देशिका श्रीमती राखी मिश्रा ने कहा कि नेहरू जी की शिक्षाओं को हमें जीवन में उतारना है, उनके सपनों को साकार करना है। एक सुंदर कविता से उन्होंने अपने बचपन को याद किया 'एक बचपन का जमाना था, जिसमें खुशियों का खज़ाना था, चाहत चाँद को पाने की थी, पर दिल तितली का दीवाना था।'
सचिव अमित मिश्रा ने कहा पंडित जवाहरालाल नेहरू जी (चाचाजी) को बच्चों और गुलाब का साथ बहुत भाता था, क्योंकि वे कहते थे कि दोनों में बहुत-सी समानताएं है। तो बच्चों आप भी गुलाब की तरह महकों और मुस्कुराओं।
प्राचार्य उज्जवल दत्ता ने कहा कि नेहरू जी देशभक्ति का, तकनीकी ज्ञान का अतुल भंडार थे। बच्चों से असीम स्नेह के कारण ही हम उनके जन्म दिवस को 'बाल-दिवस' के रूप में मनाते है। उन्होंने बताया कि हर साल 14 नवंबर को बच्चों के बीच चाचा नेहरू के नाम से जाने जाने वाले देश के पहले प्रधानमंत्री की जयंती मनाई जाती है। ये दिन बाल दिवस के तौर पर मनाया जाता है। जवाहर लाल नेहरू को बच्चों से बहुत प्यार था, इसीलिए बच्चे उन्हें चाचा नेहरू कहकर बुलाते थे।
प्रमुख प्रशासनिक अधिकारी विशाल गोजरे, अभिरूचि केन्द्र प्रमुख श्रीमती अंजली पिंपलीकर, को-ऑर्डिनेटर दीप्ती पेच्ची, विष्णु नायर, जिया सहर, देवेन्द्र गढ़वाल, संदीप श्रीवास्तव, अर्पणा नागर, मनीष जैन, हिमांशु तिवारी, संजय महाजन, स्वप्निल बेलोशे, मयूर धाबे, अंवेश भट्ट, सचिन जैन, कुमिका पथरोल, हर्षिदा येऊलकर, अमिषा जैस्वानी, गायत्री जैस्वाल, हर्षल पंडित, नामदेव भोईटे आदि ने छात्रों को बाल-दिवस की शुभकामनाएं प्रेषित की।


 


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