निर्मल विशुद्ध परिणामों से की गई प्रभु की भक्ति मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करती है।
खिरकिया।निर्मल विशुद्ध परिणामों से की गई प्रभु की भक्ति मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करती है।भक्ति में तत्पर रहने वाला इंद्र इतना पुण्य संचय करता है कि एक भवाहरी होता है।यह बात दिगम्बर जैन संत श्री अजितसागरजी मुनिराज ने शनिवार को शहर में पंचकल्याणक महोत्सव की पूर्व संध्या पर अपने प्रवचन में कही।उन्होंने कहा कि हम सबको मोह-राग के कार्यों में उत्साह नहीं रखना चाहिए।अपितु धर्म के महोत्सव में तन मन धन से सम्मिलित होकर अतिशयकारी पुण्यार्जन करना चाहिए।मुनिश्री ने आगे कहा कि जो भोजन करता है, उसी का पेट भरता है।इसी प्रकार जो दान पुण्य स्वयं करता है, उसी का पुण्यार्जन होता है।हम सब पाप-दुःख को नाश करने वाली प्रभु की भक्ति में तत्पर रहें।इससे पहले एलक श्री विवेकानंद जी महाराज ने कहा कि जिस पुरुषार्थ को पुण्य का योग नहीं मिलता, वह कभी सफल नहीं होता।एवं जिस पुण्य को धर्म का योग नहीं मिलता, वह कभी उत्तम नहीं बनता है।अतः पुण्य का सदुपयोग करते हुए हमें महान बनना चाहिए।जब हम धन का संग्रह करते हैं,तब कृष्ण लेश्या होती है।इसलिए धन का संग्रह करके नहीं बल्कि दान करके महान बनना चाहिए।
*पात्रों का हुआ चयन*
आज रविवार से शुरू हो रहे पंचकल्याणक महोत्सव के लिए प्रतिष्ठाचार्य विनय भैयाजी के मार्गदर्शन में विभिन्न पात्रों का चयन किया गया।जिसमें सौधर्म इंद्र बनने का सौभाग्य राहुल जैन को मिला।वहीं भगवान के माता पिता बनने का परम सौभाग्य भोपाल के शकुंतला देवी-स्वरूपचंद जैन को प्राप्त हुआ।
जबकि अनूप जैन को यज्ञ नायक, आशीष जैन को कुबेर, नीलेश जैन को ईशान इंद्र, कैलाश जैन को सनत इंद्र, अंकित जैन को माहेन्द्र इंद्र, भरत चक्रवर्ती बनने का लाभ धनंजय जैन को मिला।इसी तरह संजय सेठी को राजा श्रेयांस, विनोद जैन को ब्रम्ह इंद्र तथा शैलेन्द्र जैन दिल्ली को ब्रम्हो इंद्र बनने का सौभाग्य प्राप्त हुई।
आज के कार्यक्रम
आज रविवार को पंचकल्याणक महोत्सव के पहले दिन सुबह के सत्र में गुरु आज्ञा, मुनि संघ को निमंत्रण, नित्यगृह अभिषेक, शांतिधारा, पूजन, जाप स्थापना,
दोपहर के सत्र में घटयात्रा, श्रीजी की शोभायात्रा, मण्डप प्रवेश, मण्डप उदघाटन, मण्डप शुद्धि, वेदी संस्कार शुद्धि, अभिषेक, शांतिधारा, श्रीजी स्थापना पूजन, ध्वजारोहण के पश्चात मुनि श्री अजितसागरजी के प्रवचन होंगे।