गुरुवार, 14 नवंबर 2019

पंडित नेहरू की दूरदृष्टि और सक्षम नेतृत्व के कारण ही एक झण्डे के नीचे खड़ा है देश

पंडित नेहरू की दूरदृष्टि और सक्षम नेतृत्व के कारण ही एक झण्डे के नीचे खड़ा है देश



भावी पीढ़ी को सक्षम और सफल बनाने के लिए योजनाबद्ध प्रयास किए जाएंगे
मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ का "नेहरू और शिक्षा" सेमिनार में संबोधन 


 

 भोपाल- मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ ने कहा है कि पंडित जवाहर लाल नेहरु की दूरदृष्टि और सक्षम नेतृत्व के कारण ही आज हमारा पूरा देश एक झण्डे के नीचे खड़ा है। उन्होंने कहा कि पंडित नेहरू की सोच के अनुरूप सरकार प्रदेश की भावी पीढ़ी को सक्षम और सफल बनाने के लिए उन्हें शिक्षित करने के साथ ही उनके व्यक्तित्व विकास के लिए योजनाबद्ध तरीके से काम कर रही है। श्री कमल नाथ आज बरकतउल्ला विश्वविद्यालय में पंडित जवाहर लाल नेहरू की 130वीं जयंती पर आयोजित सेमीनार को संबोधित कर रहे थे।


मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ ने कहा कि पंडित नेहरू एक शिक्षित राष्ट्र के साथ वैज्ञानिक दृष्टिकोण को विकसित करने को लेकर काफी गंभीर थे। आजादी के बाद उनके सामने राष्ट्र निर्माण और उसकी अनेकता में एकता को मजबूत करने के साथ ही ज्ञानवान देश निर्माण की एक बहुत बड़ी चुनौती थी। इस चुनौती का उन्होंने अपने सक्षम नेतृत्व, दूरदृष्टि और दृढ़ निश्चतता के साथ सामना किया। आज देश में जितनी भी नामी शिक्षण संस्थाएँ और अनुसंधान केन्द्र हैं, वे सब नेहरू जी की देन हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि नेहरू जी ने मजबूत भारत की नींव रखी, जो आज दुनिया के सशक्त राष्ट्रों में से एक है।


मुख्यमंत्री ने कहा कि विभिन्न जातियों, धर्मों और भाषाओं के बीच नेहरू जी ने पूरे भारत को एक झंडे के नीचे लाकर खड़ा किया, जिसका लोहा आज पूरा विश्व मानता है। उन्होंने कहा कि आज देश में हमारा प्रजातंत्र मजबूत है, उसे कमजोर करने की हर कोशिश असफल हो रही है, तो इसका श्रेय पंडित नेहरु को जाता है। बाबा साहिब अंबेडकर को संविधान बनाने की जिम्मेदारी देकर उन्होंने लोकतंत्र को मजबूत बनाया।


मुख्यमंत्री ने कहा कि आज हर क्षेत्र में परिवर्तन आया है। शिक्षा भी उससे अछूती नहीं है। पहले हमारे सामने शिक्षा और ज्ञान के सीमित संसाधन थे लेकिन आज उनका विस्तार हुआ है। मुख्यमंत्री ने युवाओं से कहा कि इस परिवर्तन को समझें, इसे अपनाएं और अपने देश को पूरे विश्व में नए बदलावों के साथ सशक्त भारत के रूप में स्थापित करने में अपना योगदान दें। शिक्षा और ज्ञान के अंतर को समझें। उन्होंने कहा कि ज्ञान हमें जीवन भर प्राप्त होता है, जो हर चुनौती का सामना करने में मार्गदर्शन प्रदान करता है।


मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ ने पंडित नेहरू से बाल्यकाल में हुए सम्पर्क की यादों को साझा करते हुए कहा कि जब वे दून स्कूल में संजय गांधी के सहपाठी थे, तब पंडित नेहरू और श्रीमती इंदिरा गांधी एक साथ माह में एक बार स्कूल के नियम के अनुसार संजय गांधी और राजीव गांधी से मिलने आते थे। इस दौरान उनका सम्पर्क नेहरू जी एवं इंदिरा जी से हुआ। मुख्यमंत्री ने कहा कि हम दिन भर उनके साथ रहते थे लेकिन हमें कभी अहसास नहीं होता था कि हम देश के प्रधानमंत्री के साथ हैं। वे बगैर तामझाम के एक जिम्मेदार अभिभावक होने के नाते हम लोगों के साथ समय बिताते थे। हमसे शिक्षा और ज्ञान से जुड़ी बातें करते थे और सीख भी देते थे। अंत में वे यह कहकर विदा लेते थे कि मैं अगली बार आऊँगा, तो पूछँगा।


उच्च शिक्षा मंत्री श्री जीतू पटवारी ने कहा कि पंडित नेहरू ने आजादी के बाद प्रगतिवादी सोच के साथ उस समय देश को एक नई दिशा और दृष्टि दी, जब हमारा देश रूढ़िबद्धता और अंधविश्वास की सोच में जकड़ा हुआ था। उस समय एक सुई भी हमारे देश में नहीं बनती थी। आज हम न केवल अपने देश की बल्कि दुनिया के अन्य देशों की जरूरतों को पूरा करते हैं। पंडित नेहरू की ही यह देन है। उद्योग और शिक्षा के क्षेत्र में उनका योगदान देश कभी नहीं भुला पाएगा। उन्होंने कृषि क्षेत्र को उन्नतशील बनाया और मजबूत लोकतंत्र की नींव डाली।


जनसम्पर्क मंत्री श्री पी.सी. शर्मा ने कहा कि पंडित नेहरू की उद्योग और शिक्षा के क्षेत्र में जो प्रगतिवादी सोच थी, आज हमारे प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ उसी सोच के अनुरूप प्रदेश के विकास की नई तस्वीर गढ़ रहे हैं। प्रदेश का युवा शिक्षित और सक्षम बने, उसे रोजगार मिले, इसके लिए मुख्यमंत्री हर संभव प्रयास कर रहे हैं।


'नेहरू और शिक्षा' विषय पर आयोजित इस सेमिनार के मुख्य वक्ता शिक्षाविद् डॉ. अनिल सदगोपाल ने कहा कि पंडित नेहरू के तीन महत्वपूर्ण विचार हैं, जो आज के समय में केवल प्रासांगिक ही नहीं है बल्कि हमारा मार्गदर्शन भी करते हैं। उन्होंने कहा कि पंडित नेहरू कहते थे कि शिक्षा का मकसद सेवा है। शिक्षा का केवल निज हित के लिए नहीं बल्कि समूचे समाज की सेवा में उपयोग होना चाहिए। उन्होंने कहा कि पंडित नेहरू का विचार था कि हमारे विश्वविद्यालय इंसानियत सहिंष्णुता, तार्किकता और नए विचारों के बनें, जहाँ सच के साथ आगे बढ़ने की प्रेरणा मिले। उन्होंने कहा कि नेहरू जी का यह भी विचार था कि हमारी तकनीकी की स्वीकार्यता तभी है, जब उसमें इंसानियत और समाज के बुनियादी मूल्यों का समावेश हो।


सेमिनार के प्रारंभ में मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ ने पंडित जवाहर लाल नेहरू की बाल्यकाल से लेकर जीवन के अंतिम क्षणों तक के कृतित्व पर केन्द्रित प्रदर्शनी का शुभारंभ कर अवलोकन किया। उन्होंने नेहरू जी पर केन्द्रित स्मारिका का भी विमोचन किया।


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