गुरुवार, 21 नवंबर 2019

राम-सीता का धूमधाम से हुआ विवाह, झांकी ने  मन मोहा  भगवान को आशाओं में नहीं भाव में बांधों : पंडित दाधीच 

राम-सीता का धूमधाम से हुआ विवाह, झांकी ने  मन मोहा 


भगवान को आशाओं में नहीं भाव में बांधों : पंडित दाधीच 



खंडवा  , संजय चौबे । गंगा धाम  सिद्धि पुरम  कॉलोनी मेंआयोजित श्री राम कथा के चतुर्थ दिवस राम विवाह का आयोजन किया गया। इस दौरान बच्चों ने राम सीता की मनमोहक झांकी प्रस्तुत की। कथावाचक पंडित श्री पंडित ललित किशोर जी दाधिच द्वारा
 ने राम विवाह का वृतांत सुनाते हुए बताया कि यज्ञ की समाप्ति के पश्चात विश्वामित्र जनकपुरी के रास्ते से वापसी आने के समय राजा जनक के सीता स्वयंवर की उद्घोषणा की जानकारी मिली। मुनि विश्वामित्र ने राम एवं लक्ष्मण जी को साथ लेकर सीता के स्वयंवर में पधारें। सीता स्वयंवर में राजा जनक जी ने उद्घोषणा की जो भी शिव जी के धनुष को भंग कर देगा उसके साथ सीता के विवाह का संकल्प कर लिया।
प्रभु श्रीराम ने शिव धनुष तोड़कर सीता स्वयंवर जनक दुलारी का वरण किया। इसके बाद राजा जनक के बुलावे पर राजा दशरथ अपने पुत्रों की बारात लेकर मिथिलानगरी पहुंचते हैं। 
 स्वयंवर में बहुत राजा महाराजाओं ने अपने वीरता का परिचय दिया परन्तु विफल रहे। इधर जनक जी चिंतित होकर घोषणा की लगता है यह पृथ्वी वीरों से विहीन हो गयी है, तभी मुनि विश्वामित्र ने राम को शिव धनुष भंग करने का आदेश दिया। रामजी ने मुनि विश्वामित्र जी की आज्ञा मानकर शिव जी की मन ही मन स्तुति कर शिव धनुष को एक ही बार में भंग कर दिया। उसके उपरान्त राजा जनक ने सीता का विवाह बड़े उत्साह एवं धूम धाम के साथ राम जी से कर दिया। साथ ही दशरथ के तीन पुत्रों भरत के साथ माध्वी, लक्ष्मण के साथ उर्मिला एवं शत्रुघ्न जी के साथ सुतकीर्ति का विवाह भी बड़े हर्ष एवं धूमधाम के साथ कर दिया। 
स्थानीय भंडारिया  रोड स्थित गंगा माता मंदिर में चल रही राम कथा के छठवें दिन व्यास पीठ से पंडित ललित किशोर जी ने कहा कि परमात्मा तो प्रेम के बंधन में बंधने वाले है। और भगवान को आशाओं में नहीं भाव में बांधों यदि ब्रह्मा को पाना है तो जीवन को सुधारो धन के साथ धर्म भी कमाओ अन्यथा जीवन पशु सामान है। मथुरा वृंदावन अयोध्या पुण्यभूमि। भगवान ने जहाँ जहाँ लीला की है वहाँ अवश्य जानना चाहिए भगवान के पास राग द्वेश छोड़ कर जाओ जीवन में किसी से कड़वा मत बोलो एक एक में धन एवं एक हाथ में धर्म रखो तो भगवान दूर नहीं जायेंगे अर्थ धर्म एवं काम मोक्ष का जोड़ बनाकर चलना चाहिए परमात्मा सब कुछ है और पैसा कुछ कुछ है। जीवन में गुरु के प्रति प्रेम होना चाहिए सतगुरु जीवन को मोक्ष देने वाले हैं गुरु नहीं तो जीवन में अहंकार हो जाता है गुरु का तो स्वयम भगवान ने भी बंधन किया है वर्तमान में शिक्षा प्रणाली पश्चिम की ओर जा रही। ग्रुप के मंत्र का महत्व अधिक है गुरु भगवान का स्वरूप माना गया है पंडित दादीजी ने जनकपुर दर्शन धनुषयज्ञ जानकी विवाह के पसंद को भी सारगर्भित रूप से समझाया जिस पर श्रद्धालु झूम उठे।
आयोजक पार्षद बलराम वर्मा ने बताया कि गुरुवार  सिद्धि पुरम कॉलोनी में राम विवाह का भव्य आयोजन हुआ जिसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे और इस पुण्य विवाह का और इस रामकथा का श्रवण किया
कथा प्रवक्ता पवन पाराशर कि सातवें दिन शुक्रवार को अयोध्या उत्सव वनगमन प्रसंग एवं केवट संवाद होगा ।


भाजपा ने जारी की बुरहानपुर के 45 वार्ड प्रत्याशियों की सूची,3 को रखा होल्ड पर

बुरहानपुर (इक़बाल अंसारी) भारतीय जनता पार्टी संभागीय कार्यालय इन्दौर की संभागीय चयन समिति के संयोजक श्री मधु वर्मा एवं श्री गजेंद्र पटेल के ...