राइट टू वॉटर कानून पर काम शुरू,प्रारम्भ में 1 हजार करोड़ का बजट मिला
भोपाल। पीएचई मंत्री सुखदेव पांसे ने जनता के सामने एक साल के कार्यकाल का लेखा जोखा जनता के सामने पेश किया। भारतीय संस्कृति में पानी का सबसे ज्यादा महत्व, कमलनाथ सरकार पानी का महत्व समझते हुए आनेवाले समय मे जल समस्याओं से निपटने के लिए प्रयास कर रही है। सरकार संभलते ही पानी की चिंता की, 15 साल में केवल 12% सप्लाई नल के माध्यम से की जा रही थी, पाइपलाइन, हेण्डपम्प, सब खराब थे और केवल भाषणबाजी होती थी। सीएम कमलनाथ ने स्वास्थ्य,शिक्षा,पानी की समस्याओं को दूर करने का काम किया। जब विभाग संभाला तो हर जिले में विभाग पर कर्ज था, सरकार से बजट लेकर काम किया और व्यवस्थाओं को ठीक किया। योजनाओं के क्रियान्वन पर ध्यान दिया। ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में पानी की कमी को दूर करने एमपी सरकार राइट टू वाटर लेकर आ रही है। 68 हजार करोड़ रुपये की योजना बनाई ताकि पानी की कमी न रहे,इसके अंतर्गत वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाए जाएंगे। बांधों में पेयजल का कोटा बनाया जाएगा, हर घर मे नल के माध्यम से पयजल पहुंचाया जाएगा। विभिन्न जिलों में नल जल योजना की डीपीआर तैयार कर ली गयी है। आईआईटी दिल्ली के साथ योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए टाई अप किया है। इन सभी योजनाओं के लिए न्यू डेवलपमेंट बैंक से 4500 करोड़ की सहायता विभाग की योजनाओं के लिए मिली है। जायका के माध्यम से झाबुआ और नीमच जिलों में काम होगा, नबार्ड बैंक से भी सहायता ली जा रही है। 2019 में 6 हजार ज्यादा हैंडपम्प लगाए गए, 600 नल जल योजना से पानी की व्यवस्था की, 3 हजार बन्द नल योजना को चालू किया, अभियान चलाकर लाखों बन्द हेण्डपम्प दोबारा शुरू किए गए। केंद्र की बीजेपी सरकार केवल योजनाओं का नाम बदलती है जिससे कुछ नहीं होता। चालू योजनाओं का पैसा भी केंद्र रोक रही है, एमपी के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। सीएम कमलनाथ ने खाली खजाना मिलने के बावजूद इतने बजट का प्रवधान किया और दिया भी। देश मे पहली बार राइट टू वाटर एमपी में दिया जाएगा, इसके लिए ड्राफ्ट भी तैयार हो रहा है। बजट में इस कानून के लिए 1 हजार करोड़ का प्रारंभिक प्रवधान भी कर दिया गया है।
कर्मचारियों की समस्याओं का निराकरण भी सरकार ने किया, संविदा कर्मियों को सुविधा देने म्यूचअल ट्रांसफर देने की व्यवस्था की।