मंगलवार, 26 नवंबर 2019

विलुप्त हो रहे आदिवासी लोक नृत्य को अंतर्राष्ट्रीय मंच तक जिले के मुकेश दरबार ने पहुंचाया

विलुप्त हो रहे आदिवासी लोक नृत्य को अंतर्राष्ट्रीय मंच तक जिले के मुकेश दरबार ने पहुंचाया



बुरहानपुर  - मध्य प्रदेश का एक जिला ऐसा भी है जो ऐतिहासिक पहचान एवं आदिवासी लोक कला के लिए भी जाना जाता है। यह बुरहानपुर जिला जो कि केले के लिए भी प्रसिद्धि प्राप्त किए हुए है। ऐसे ही एक शख्स जो कि नेपानगर निवासी है। जिन्होंने बुरहानपुर की विलुप्त हो रही आदिवासी लोक नृत्य को अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाया है। इन्हें मुकेश दरबार के नाम से जाना जाता है।



जैसा कि दुनिया के प्रत्येक पिता का सपना होता है कि उसका बेटा बडे़ सरकारी ओहदे पर बैठे। ठीक उसी प्रकार मुकेश दरबार के पिता चाहते थे कि उनका बेटा वकालत करें। लेकिन मुकेश दरबार की बचपन से ही कला में रूचि थी। पिता की आज्ञा का पालन करते हुए उन्होंने खण्डवा स्थित लॉ कालेज से एलएलबी की पढ़ाई की साथ ही अपने बचपन के सपने को पूरा करने के लिए लगातार प्रयासरत रहे।




उन्होंने बताया कि परिवार में किसी भी सदस्य का दूर-दूर तक कला से कोई वास्ता नहीं था। श्री दरबार ने कक्षा तीसरी में भारत पर्व पर पहली बार गांव के मंच पर नाटक की प्रस्तुति दी थी। उम्र के साथ-साथ कला के प्रति लगाव बढ़ता चला गया उनके द्वारा बताया गया कि वे आदिवासी कलाकारों के संपर्क में आने के लिए गांव-गांव एवं आदिवासी नृत्यों और उनकी परम्पराओं को जानने के लिए निरंतर भ्रमण करते रहे।
जिसके बाद वर्ष 1997 में आदिवासी नृत्य को मंच दिलाने के उद्देश्य से संस्थापक निदेशक के रूप में नेपानगर जागृति कला केन्द्र का गठन किया गया। जिसके बाद आदिवासी युवाओं को पहचान एवं मंच दिलाने के लिए प्रयास तेज कर दिए। भगोरिया, फगुआ के रूप में कई जिलों में आदिवासी लोक नृत्य को प्रस्तुत किया। लगभग एक हजार से अधिक नुक्कड़ नाटक के माध्यम से शासन की विभिन्न जनहित योजनाओं को कई जिलों में प्रस्तुत किया तथा भारत के विभिन्न राज्यों में आदिवासी लोक नृत्यों को प्रस्तुत कर एक नई पहचान दिलाई है।
भारत सरकार की ओर से वर्ष 2015 व एवं 2017 में कंबोडिया एवं तुर्कमेनिस्तान में भारत के प्रतिनिधि के रूप में कंबोडिया में 10 सदस्यीय दल का नेतृत्व करते हुए 16 देशों के मध्य भारत का प्रतिनिधित्व तथा वर्ष 2017 में तुर्कमेनिस्तान में 15 सदस्यीय दल के साथ भारत की आजादी के 70 वर्ष पूर्ण होने एवं तुर्कमेनिस्तान व भारत के राजनीतिक संबंध के 25 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य पर आयोजित कार्यक्रम में विलुप्त हो रही आदिवासी लोकनृत्य की प्रस्तुति देकर विश्व मंच पर इसको पहचान दिलाई है। वर्तमान में वर्ष 2018 दिसंबर में इंटरनेशनल डांस काउंसिल सीआईडी यूनेस्को के सदस्य बने। वह मध्य प्रदेश के विलुप्त हो रहे आदिवासी लोकनृत्य को इस उंचाई तक पहंुंचाने पर स्वयं को गौरान्वित एवं आनंद की आत्म अनुभूति महसूस करते है।


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