11वीं के छात्र का कमाल, 2500 रुपये में हाइड्रोजन से चला दी बाइक, मिला बड़ा ऑफर
नई दिल्ली- वेल्लोर जिले के एक गांव के सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले छात्र ने एक ऐसी किट बनाई है, जिसकी मदद से दोपहिया वाहन को हाइड्रोजन से चलाया जा सकता है। इस छात्र ने अपने पिता की बाइक को इस किट की मदद से चलाने में कामयाबी हासिल की है। पेनाथुर गांव के रहने वाले इस युवा वैज्ञानिक का नाम डी देवेंद्रिरन है। वह कक्षा 11वीं का छात्र है। उसने हाइड्रोजन आधारित डिवाइस बनाई है, जिससे बाइक को चलाया जा सकता है। दरअसल, डी देवेंद्रिरन ने कुछ दिन पहले वेल्लोर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में आयोजित राज्य स्तरीय विज्ञान महोत्सव में अपना ये प्रोजेक्ट प्रदर्शित किया था।
इस दौरान नेशनल डिजाइन एंड रिसर्च फोरम (एनडीआरएफ) के अध्यक्ष मायलस्वामी अन्नादुराई ने इस प्रोजेक्ट को देखकर कहा कि वीआईटी विश्वविद्यालय के साथ मिलकर एनडीआरएफ इस परियोजना को आगे बढ़ाने में देवेंद्रिरन की मदद करेगा।
अपने प्रोजेक्ट के बारे में देवेंद्रिरन ने बताया कि मैंने अपनी बहन जो 10वीं कक्षा की छात्रा है, उसके साथ मिलकर इस पर पूरी लगन से काम किया। हम दोनों ही वेल्लोर जिले के पेनाथुर गांव में गवर्नमेंट हायर सेकेंडरी स्कूल में पढ़ते हैं।
सिर्फ 2500 रुपये में बनाई किट उसने बताया कि टू-स्ट्रोक वाले दोपहिया वाहनों के लिए इस किट को बनाने में 2500 रुपये का खर्च करने पड़े, जबकि 500 रुपये और खर्च कर इसे फोर स्ट्रोक इंजन वाले दोपहिया वाहनों के लिए बनाया जा सकता है।
देवेंद्रिरन ने कहा कि अभी इस ईंधन से वाहन को 25 किलोमीटर तक चलाया जा सकता है, अब मैं इस डिवाइस की क्षमता को बढ़ाने पर काम कर रहा हूं। देवेंद्रिरन ने कहा कि इसका मूल्यांकन करने बाद इसे अनुसंधान और विकास के अगले स्तर पर ले जाने पर जोर दिया जाएगा।
हाइड्रोजन अलग करने के लिए अपनाई इलेक्ट्रोलिसिस की प्रक्रिया देवेंद्रिरन ने बताया कि उन्होंने अपने शिक्षक-मार्गदर्शक एन. कोतेश्वरी और जी. मंजुला के साथ मिलकर एक टीम की तरह काम करके यह किट विकसित की है। इसमें नमक मिश्रित पानी से हाइड्रोजन को अलग किया जाता है।
कैसे काम करती है किट देवेंद्रिरन ने बताया कि एक लीटर पानी में तीन चम्मच नमक मिलाया जाता है। इस पानी से ऑक्सीजन और हाइड्रोजन को अलग करने के लिए उसे जस्ता (जिंक) और एल्यूमीनियम की प्लेटों के साथ रखा जाता है।
इससे इलेक्ट्रोलिसिस प्रक्रिया शुरू हो जाती है। इस प्रक्रिया से पानी ईंधन टैंक में रहता है और हाइड्रोजन ऊपर एकत्र होती जाती है। एकत्र हुई हाइड्रोजन को ट्यूब के माध्यम से कार्बोरेटर में स्थानांतरित किया जाता है, जो इंजन को किकस्टार्ट करने में मदद करती है।
देवेंद्रिरन के स्कूल के हेडमास्टर आई. उमादेवन ने कहा कि इस किट में कुछ जरूरी सुधार करने के बाद इसे नेशनल डिजाइन एंड रिसर्च फोरम के विशेषज्ञों के सामने रखा जाएगा।
वीआईटी के चांसलर ने की सराहना, मिला मौका वीआईटी के चांसलर जी. विश्वनाथन ने मीडिया को बताया कि वे हाइड्रोजन-चालित वाहन के आविष्कार को अगले स्तर तक ले जाने के लिए ऐसे युवा छात्र-वैज्ञानिकों की अनुसंधान परियोजना को बढ़ावा देना चाहेंगे।
उन्होंने कहा कि इस तरह के आविष्कार आश्वस्त करते हैं कि हमें पेट्रोल का बेहतर विकल्प तलाशने के लिए जरूरी सफलता मिल सकती है। उन्होंने कहा कि मुझे इस बात की खुशी है कि एनडीआरएफ ने इस परियोजना को आगे बढ़ाने में रुचि दिखाई है, यह समाज के लिए बहुत लाभदायक साबित होगी।
साभार
अमर उजाला