जय जगत 2020 विश्व शांति यात्रा में सम्मिलित देश विदेश के सभी पदयात्री उस समय शोकाकुल हो गए जब उन्हें यह समाचार मिला की इटारस नगर व आसपास के गांव में यात्रियों के स्वागत की तैयारी में लगे इटारसी के स्वतंत्रता सेनानी रहे शेष लक्ष्मीचंद गोठी परिवार के सदस्य श्री सतीश गोठी का निधन रात्रि में सड़क दुर्घटना में हो गया। श्री सतीश की स्मृति में पदयात्रियों ने सुबह की प्रार्थना के समय मौन रखकर श्रद्धांजलि अर्पित की तथा यात्रा के संयोजक श्री राजगोपाल पीवी ने रोज की तरह जुलूस में सबसे आगे पैदल न चलकर पीछे पीछे चलें। सभी पदयात्री इटारसी पहुंचने पर पांच लाइन स्थित निवास पर श्री सतीश जी के पिता से मिलकर ढाढस बंधाया। पुष्पांजलि अर्पित की। यात्रा में सहयोग कर रहे यतीश मेहता के पुत्र जाबल मेहता का निधन हुआ तथा समाचार मिलने पर ही पद यात्री ने उन्हें अर्पित करते हुए मौन धारण किया था कि 24 घंटे के भीतर उन्हें एक अन्य प्रमुख सहयोगी गोठी परिवार के सदस्य के निधन का समाचार मिला। कोई भी बदलाव या जनकल्याण एक तपस्या है जिसके समानांतर हम किसी न किसी को खो रहे होते हैं। फिर भी बदलाव की ज़िम्मेदारी अहम है, जिसमे आगे निरंतर बढ़ना होगा। पूरे एक साल के लिए दिल्ली से जिनेवा तक पदयात्रा कर रही श्रद्धा कश्यप के पति राजीव कश्यप को भी हमने खोया है। इन सभी घटनाओं के अनुभवों से भिंड से एक साल के लिए यात्रा कर रहे युवा नीरू दिवाकर ने कहा "विश्व शांति के लिए यह यात्रा एक तपस्या है।
सभी यात्रा के संदेश के साथ आगे बढ़ते हुए उस धर्मशाला को देखा जहां वर्ष 1933 में 3 दिसंबर को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने दुर्ग से इटारसी प्रवास के समय निवास किया था, इसके उपरांत समीपवर्ती हरदा नगर भी गए थे। इटारसी में धर्मशाला का निर्माणश्री गोठी के दादा लक्ष्मीचंद गोटी ने 1824 में किया था। गांधीजी के बाद स्वाधीनता सेनानियों के लिए, सामाजिक व राजनीतिक व्यवस्था परिवर्तन में लगे लोगों के लिए यह धर्मशाला केंद्र रहा है। 1970 में मिट्टी बचाओ आंदोलन यही से आरंभ हुआ। 1980 में मेधा पाटकर ने ब्रह्मदेव शर्मा के मार्गदर्शन में नर्मदा बचाओ आंदोलन की शुरुआत यही से की।
साथ ही सभी पदयात्री गुरुद्वारा भी गये। जहां सरदार पाली भाटिया जसपाल सिंह ने श्री राजगोपाल पी व्ही और जिला बहन का अंगवस्त्र और प्रसाद भेंट कर सम्मानित किया। अवसर पर श्री भाटिया ने बताया कि कुछ समय पूर्व गुरुद्वारा में इसी स्थान पर श्री राजगोपाल पीवी के गुरु एस एन सुब्बाराव का भी सम्मान करने का अवसर प्राप्त हुआ है। उन्होंने यह भी कहा कि गांधी की अहिंसा गुरु नानक एवं गुरु ग्रंथ साहिब के शिक्षाओं के अनुरूप है।
यात्रा के 69वे दिन सभी पदयात्री पथरौटा पहुंचेंगे। जहाँ सभी श्री संदीप महतो के कृषि कॉलेज "भारत कलिंग" में रात्रि विश्राम करेंगे। इटारसी में कृषि के नए प्रयोग और युवाओं में व्यक्तिविकास के लिए संदीप महतो बीते सालों से प्रयत्नशील हैं।
पथरौटा के बाद सभी "जमानी" गांव जाएंगे। इटारसी और होशंगाबाद स्वयं में सांस्कृतिक और धार्मिक सौहार्द के लिए एक मिसाल रहा है। यहाँ हरीशंकर परसाई, माखनलाल चतुर्वेदी, भवानी प्रसाद मिश्र जैसे विभूतियों का जन्म हुआ है। पूर्व आयोजित तरीके से बनाया गया "जमानी" गांव पूरे देश के लिए एक आदर्श गांव है। जहाँ हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख सभी एक साथ रहते हैं। जहाँ कभी देश में कोई विषम परिस्थिति आयी है, सभी ने अपनी एकता का परिचय दिया है। जमानी गांधी के सपनों का गांव है। जिसे रवि शंकर दुबे ने पूरे गांव वालों के साथ मिलकर बनाया है।
जय जगत यात्रा 2 अक्टूबर 2019 से शुरू हुई है। महात्मा गांधी और कस्तूरबा के 150वी जन्म शताब्दी के वर्ष पूरी दुनिया में शांति और अहिंसा के संदेश को पहुंचाने के लिए यह यात्रा 10 देशों से पैदल यात्रा करते हुए 12 हज़ार किलोमीटर की पैदल यात्रा करेगी। भारत में यह यात्रा 4 महीने चलेगी। गरीबी उन्मूलन, असमानता ख़तम हो, जलवायु संकट और हिंसा को रोकने जैसे 4 मुद्दे को लेकर 50 पदयात्री पूरे साल पैदल यात्रा करेंगे। अगले वर्ष अक्टूबर 2020 को यह यात्रा जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र के सामने समाज के आख़िरी व्यक्ति के न्याय और पूरी दुनिया में शांति की बात रखेंगे। इस यात्रा में 10 देशों और भारत के 18 अलग अलग राज्यों से पदयात्री इस संदेश के साथ आगे बढ़ रहे हैं। दुनिया के अलग अलग देशों के फ्रांस से डेण्णी, मीका, केन्या से सिडनी, न्यूजीलैंड से बेंजामिन, एकता परिषद से सरस्वती उइके, कस्तूरी पटेल, राजस्थान से जयसिंह जादौन, छत्तीसगढ़ से निर्मला, सीताराम स्वामी, छिंदवाड़ा से मुदित श्रीवास्तव, भिंड से नीरू दिवाकर, भोपाल से शाहबाज़ ख़ान, खुशबू चौरसिया, सतीश राज आचार्य, उतरप्रदेश से आशिमा बिहार से सन्नी कुमार, गुजरात से पार्थ, तमिलनाडु से श्रुति, केरल से अजित, बेंजी, महाराष्ट्र से जालंधर भाई आदि पूरे 50 पदयात्री अगले साल जिनेवा पहुंचेंगे।