साल पूरे वर्ष भर में चार ऐसी खगोलीय घटना होती हैं, जिनमें 21 मार्च और 23 सितम्बर को दिन और रात की अवधि एक समान हो जाती हैं, तो वहीं दो दिन ऐसे होते हैं, जिन्हें साल के सबसे बड़े और छोटे दिनों के रूप में पहचाना जाता हैं, 21 जून वह दिन हैं जिस दिन साल का सबसे बड़ा दिन होता हैं
सूर्य अधिक देरी तक पृथ्वी पर अपनी किरणों से प्रकाश फैलाता हैं। इसके विपरीत 22 दिसम्बर वह दिन हैं, जिसे साल के सबसे छोटे दिन के नाम से जाना जाता हैं, जिस दिन सूर्य पृथ्वी पर कम समय के लिए उपस्थित होता हैं तथा चंद्रमा अपनी शीतल किरणों का प्रसार पृथ्वी पर अधिक देरी तक करता हैं, 21 दिसम्बर की इस खगोलीय घटना को विंटर सोलस्टाइस के नाम से भी जाना जाता हैं।
पृथ्वी अपने अक्ष पर साढ़े तेईस डिग्री झुकी हुई हैं, जिसके कारण सूर्य की दूरी पृथ्वी के उत्तरी गोलाद्र्ध से अधिक हो जाती हैं और सूर्य की किरणों का प्रसार पृथ्वी पर कम समय तक हो पाता हैं, कहा जाता हैं कि 22 दिसम्बर के दिन सूर्य जिसे सौरमंडल का मुखिया कहा जाता हैं, वह दक्षिणायन से उत्तरायण में प्रवेश करता हैं, साल का सबसे छोटा दिन 22 दिसम्बर के दिन सूर्य देवता मकर रेखा के लंबवत होते हैं तथा कर्क रेखा को तिरछा स्पर्श करते हैं, जिसके कारण इस दिन सूर्य अस्त शीघ्र हो जाता हैं और चंद्रमा जल्दी उपस्थित हो जाता हैं।
इस दिन से ठंड बढऩी शुरू हो जाती हैंजिसके परिणाम स्वरूप इस दिन से ठंड बढऩी शुरू हो जाती हैं, 22 दिसम्बर के अगले दिन से ही दिन बड़े होने आरम्भ हो जाते हैं तथा रात घटने लग जाती हैं। हर वर्ष सर्द ऋ तु में होनी वाली यह खगोलीय घटना किसानों के लिए बहुत ही फ ायदेमंद हैं, 21 दिसम्बर के दिन से ठंड का प्रभाव अधिक होता हैं, जिसके कारण रात के समय ओस की छोटी दृ छोटी बुँदे फ सलों पर पड़ती हैं, जिसके कारण फ सलों में नमी बनी रहती हैं और गेहूं और चने की फ सल जो शीत ऋतु की प्रमुख फ सलें हैं, इन फ सलों की पैदावार अधिक होती हैं।