नदी पुनर्जीवन योजना के तहत जिले के तीनों विधानसभा क्षेत्र में बड़ी संख्या में जल संरचनाएं बनाने के लिये पहल शुरू हो गई है। जहां ग्रमीणें को जलधन खाता खोलने यानी तालाबों को बढ़ावा देने के लिये प्रेरित किया जा रहा है, वहीं जल संरक्षण के लिये अकेले रायपुर गांव में करीब 100 तालाबों का निर्माण होना है। इसके लिये किसानों के नामों की सूची बन चुकी है। यह गांव तालाबों के मॉडल के रूप में सामने आयेगा। उम्मीद है कि जल्द स्वीकृत मिलने के बाद कार्य शुरू हो जाएंगे। जल संरक्षण की दिशा में वैसे तो कई वर्षो से कार्य हो रहे हैं, किन्तु अब नदी पुनर्जीवन के तहत ऐसे कार्याें को और तेजी से पटल पर लाया जा रहा है। जिनसे गांव-गांव में जल के महत्व और उपयोगिता में बढ़ोतरी हो सके।
जिले में नदी पुनर्जीवन कार्यक्रम के तहत उर नदी का चयन हुआ है, यह नदी टीकमगढ़ के सभी 3 विधानसभा क्षेत्रों में मौजूद है। कार्यक्रम के तहत जल संरक्षण की दिशा में नदी क्षेत्र के आसपास तथा दूरस्थ गांव में छोटी-छोटी जल संरचनाओं के लिये सर्वे के बाद कार्य कराये जाने के लिये पहल हो चुकी हैं। सामाजिक संगठन भी ऐसे कार्यों में भागीदारी निभा रहे है। टीकमगढ़ विधानसभा क्षेत्र के रायपुर गांव में तालाबों की श्रृंखला बनाई जानी है। सूची बनाकर इन जलाशयों को मूल रूप में लाने कि कवायद चल रही है।
गांवो के पास भी बनेंगे तालाब
उल्लेखनीय है कि टीकमगढ़ पंचायत क्षेत्र में रायपुर गांव को तालाबों का गांव बनाने के लिये चयन किया गया है। यह एक नई पहल है, यहां सफलता मिलने पर ऐसे तालाबों की श्रृंखला अन्य गांवों के पास आवश्यकता के अनुसार बनाई जाएगी। नदी पुनर्जीवन कार्यक्रम के तहत जिले में बड़ी संख्या में जल संरचनाएं बनाई जानी है। वर्षा का पानी व्यर्थ में नहीं बहे इस उद्देश्य से इस कार्यक्रम को सफल बनाने हेतु कार्य किये जा रहे है।
5 साल तक होंगे कार्य
नदी पुनर्जीवन कार्यक्रम के तहत ही रायपुर गांव में तालाबों का निर्माण कराया जा रहा है। वैसे कार्यक्रम के तहत अगले 5 साल तक जिलेभर में कई जगह जल संरक्षण के लिये कार्य होंगे। फरवरी माह तक 50 प्रतिशत कार्य करा लिया जायेगा।
पानी रोकने के लिये बनेगी संरचनाएं
उर नदी के जलग्रहण क्षेत्र में आने वाले ग्रामों में खेत का पानी खेत में और गांव का पानी गांव में ही रोकने के सिद्धांत के तहत क्षेत्र में मिट्टी के स्टेटा एवं साइट्स की उपयुक्तता के अनुसार कैचमेंट, बोल्डर वॉल, सोकपिट, गली प्लग, लूज बोल्डर चैक, ग्रेबियन संरचना, वृक्षारोपण, परकोलेशन-पिट, कंटूर बंडिंग, परकोलेशन पौंड, मेड़ बंधान, डगबैल, रिचार्ज साफ्ट, रिचार्ज बैल, डाइक, चैक डेम जैसे जीर्णोद्धार के कार्य भी होने हैं।
चंदेलकालीन तालाबों की ओर दिया जाए ध्यान
बुंदेलखंड में ऐतिहासिक तौर पर देखे तो जल संरक्षण के लिये यहां चंदेल कालीन तालाब बनवाये गये है। तालाबों को और प्रमुखता मिले इस उद्देश्य से गांव में इनकी उपयोगिता बढ़ाने के लिये अब काम तेजी से होने लगा है। सामाजिक संगठन भी गांव-गांव जाकर जल धन खाता खेलने के लिये किसानों को प्रेरित कर रहे है। जल धन खाते से तात्पर्य है कि किसान स्वयं जल संरचनाएं बनाने एवं उनके संरक्षण में भागीदार बने।