मीडिया चाहता तो 10 साल पहले ही हो जाता "फर्जी शिक्षक भर्ती घोटाले" मामले का पटाक्षेप, मामला दबाने में लाखों रुपयों का हुआ लेनदेन
बुरहानपुर- मध्यप्रदेश में सबसे बड़ा बुरहानपुर का बहुचर्चित शिक्षक भर्ती घोटाला कांड शिक्षा विभाग में एक कलंक सा दाग बन गया है। जिसके कारण 1998 से लेकर अभी तक जितनी बार शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया संपन्न हुई उन सभी शिक्षकों को संदेह की दृष्टि से देखा जा रहा है। इससे प्रत्येक शिक्षकों के दस्तावेजों के सत्यापन बार- बार किये जा रहे है। प्रशासन द्वारा इस प्रकार बार-बार शिक्षकों के दस्तावेजों के सत्यापन के कारण शिक्षकों की समाज में भी छवि धूमिल हो रही है और उनकी शालाओं में भी गांव के लोगों द्वारा उन्हें संदेह की दृष्टि से देखा जा रहा है। शिक्षा विभाग के जानकार सूत्रों के अनुसार यह बताया जा रहा है कि फर्जी शिक्षकों के संबंध में सबसे पहले मीडिया के कुछ लोगों को जानकारी प्राप्त हो गई थी लेकिन कुछ भ्रष्ट मीडिया कर्मियों द्वारा रुपयों के लेनदेन को लेकर इस मामले को अभी तक दबाए रखा। विश्वस्त सूत्रों द्वारा जानकारी प्राप्त हुई कि इस मामले को दबाए रखने के लिए लाखों रुपए का लेन-देन भी किया गया था और कई मीडियाकर्मियों को बाकायदा रुपए भी पहुंचाए गए थे और कुछ लोगों को तो हर महीने में किश्त भी पहुँचाई जाती थी। कुछ प्रतिष्ठित मीडिया कर्मियों द्वारा समाचार प्रकाशित करने या इलेक्ट्रानिक मीडिया में दिखाने की धमकी देकर लाखों रुपए उगाही की गई । इन्हें लाखों रुपए देने के लिए सभी बर्खास्त शिक्षकों से बारी बारी से किश्तों में रुपए वसूल किए जाते थे।