कहते हैं कि कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प से मंजिल करीब दिखने लगती है। दतिया जिले के भाण्डेर कस्बा स्थित बजरिया की पथ विक्रेता के रूप में पंजीकृत रहीशा ऐसी ही महिला हैं।
रहीशा की उम्र पचास से ऊपर है। भाण्डेर कस्बा के बजरिया स्थित क्षेत्र के आसपास रहीशा ने सेब, अनार, केला, पपीता, संतरा एवं अंगूर बेचते हुए कई साल गुजारे। पैसे जुटाए और अपनी हाड़तोड़ कड़ी मेहनत से अपने तीन बेटों को काबिल बनाकर समाज और अपने कस्बे के सामने एक नई मिसाल पेश की। रहीशा के बेटे अभी बाहर कार्यरत हैं।
रहीशा को फलों के व्यवसाय में स्थापित करने में सरकार की मुख्यमंत्री आर्थिक कल्याण योजना का महात्वपूर्ण योगदान है। रहीशा ने इस योजना के अंतर्गत मिली दस हजार रूपये की ऋण राशि से अपने हालातों को बेहतर कर लिया। रहीशा हर मौसम के अलग-अलग फल बेचकर कमाई करती हैं। शादियां, तीज-त्यौहार के समय अधिक कमाई हो जाती है।
कामयाबी की इबारत लिखने वाली अकेले रहीशा नहीं है। भाण्डेर कस्बे के और भी जरूतरमंद हैं, जिनकी हालत पहले से काफी बेहतर हुई है। मुख्यमंत्री आर्थिक कल्याण योजना ने कई लोगों के जीवन को नई रोशनी दिखाई और उन्होंने स्वरोजगार के माध्यम से अपने जीवन की राह बना ली है। रहीशा हर मौसम में अल्लसुबह पैदल ही घर से अपनी दुकान पहुंच जाती हैं। वह अपनी दुकान सजा कर बैठ जाती हैं। रहीशा बताती हैं कि फलों की दुकान से कमाई तो होती है। लेकिन अलग-अलग तरह के अधिक फलों के लिए अधिक पूंजी की जरूरत होती है।