बुरहानपुर - मकरसंक्रांति (उत्तरायण) में लोगों को पतंगबाजी करने में बहुत ही मजा आता है किन्तु पतंग का मांझा पक्षियोंं और जानवरों के लिए बहुत जानलेवा साबित होता रहा है। पिछले साल मकर संक्रांति के अवसर पर एक हजार से अधिक पक्षी घायल हुए थे। इनमें से 100 से अधिक की मौत हो गई थी। कई जानवर भी इससे जख्मी हुए थे।
पशु अधिकारों के लिए काम करने वाली संस्था पीपुल फॉर ऐनिमल्स (पीएफए) के जिला संयोजक डॉ. मनोज अग्रवाल का कहना है कि उत्तरायण के अवसर पर आसमान में उड़ते समय पक्षी चायनीज मांझे की तीखी धार से कट जाते हैं। घायल पक्षी काफी ऊंचाई से नीचे गिरते हैं, इसके चलते वह मर जाते हैं। पतंग का मांझा पेड़ों में भी फंस जाता है। यहां पक्षियों का बसेरा होता है। उड़ते समय वह इसमें फंस जाते है, और उनकी मौत हो जाती है।
डॉ. अग्रवाल ने लोगों से निवेदन किया है कि आप सुबह 10 तक व शाम को 5 से 7 के बीच पतंग न उड़ाए, इसी समय पक्षी आसमान में सबसे अधिक होते है।
सदा मांझा उपयोग में ले, चाइनीज़ नही।
साथ ही उन्होंने प्रतिबंधित मांझा की बिक्री करने वालों के खिलाफ कारवाई की मांग भी की।