बैतूल।वामन पोटे ।।बांध की जगह बैराज बनाये जाने से जब एक इलाके के किसान नाराज है तो वही दूसरी तरफ बांध और बैराज नही बने इसलिए भी अब धीरे धीरे किसान संगठित हो रहे है ।इस उठापटक के बीच सिचाई विभाग ने बोतल में बंद गढ़ा डेम का भूत निकालकर कड़कड़ाती ठंड में किसानों को सड़क पर धरना प्रदर्शन करने के लिए मौका दे दिया है ।जिससे दोनों तरह के किसानों में आक्रोश पनप रहा है ।सिचाई विभाग के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार माचना नदी में बांध के बजाय सात बैराज बनेंगे ।
अब सवाल यह है कि टेंडर बांध बनाने का हुआ है और अब बांध के लिए आये पैसों से बैराज का सर्वे हो रहा है सर्वे के लिए ठेका कम्पनी को 39 करोड़ का भुगतान भी किया जा चुका है ।परन्तु जिस बांध का एक बार ड्राइंग डिजाइन फाइनल हो गया हो टेंडर हो गया हो तो क्या इसमें बांध की जगह बैराज बनाये जा सकते है या फिर दोबारा टेंडर किये जायेंगे यह सवाल भी अब उभर रहा है । सिचाई विभाग बांध से आठ हजार हेक्टयर के बजाय सात बैराज से तैतीस हजार हेक्टयर में सिचाई होने का दावा कर रहा है ।परन्तु लागत कितनी होगी सात बैराज की यह कोई नही बता रहा है।किसानों की कितनी जमीन अधिग्रहण होगी इसका भी अभी कोई जवाब विभाग के पास नही है बैराज की ऊँचाई 20 मीटर होगी ऐसे में जब नदी के दोनों किनारे मिट्टी के ऊंचे पहाड़ खड़े किये जायेंगे तो जब पानी का रिसाव होगा तो कितने इलाके के खेत दलदल में तब्दील होंगे यह तो बाद में पता चलेगा परन्तु जानकर बताते है कि नदी किनारे करीब सौ मीटर किसानों की जमीन की खुदाई कर मिट्टी के बंड बनाये जायेगे।
अब राजनेताओ के गले की फांस बना गढ़ा बांध अब लड़ाई का अखाड़ा बन गया है । गढ़ा डैम का मुद्दा फिर गरमाने लगा है, किसानों ने सोमवार को डैम बनाने की मांग को लेकर जल संसाधन विभाग का घेराव किया है, पहले भी किसानों ने कलेक्ट्रेट का घेराव कर प्रशासन को डैम के प्रस्ताव की मंजूरी देने के लिए 10 दिनों की मोहलत दी थी। जो खत्म हो चुकी है।सोमवार को दो घंटे से ज्यादा समय तक चले इस प्रदर्शन के चलते किसानों और जल संसाधन विभाग के ईई के बीच जमकर बहस हुई। आखिरकार ईई ने किसानों से 8 दिनों का समय लेकर उच्च अधिकारियों से चर्चा करने की बात कही। तब जाकर प्रदर्शन खत्म हुआ।गढ़ा डैम को बैराज बनाने के प्रस्ताव पर बवाल किसानों की नाराजगी की वजह किसानों की नाराजगी इस बात से है कि पूर्व की बीजेपी सरकार के कार्यकाल में गढ़ा डैम को मंजूरी मिली थी, किसानों का आरोप है कि वर्तमान सरकार इस फैसले के उलट अब डैम के बदले बैराज बनाना चाहती है, जबकि किसानों की मांग है कि यहां गढ़ा डैम बनाया जाए. किसानों ने ईई अशोक डेहरिया को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर डैम की जगह बैराज बनाने के बारे में सरकार ने सोचा भी तो किसान उग्र आंदोलन करेंगे. किसानों ने प्रशासन को एक हफ्ते का समय दिया है.पिछली सरकार ने करीब 307 करोड़ रुपए की लागत से गढ़ा डैम बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी, जिससे 8 हजार हेक्टेयर जमीन सिंचित होगे. सिंचाई विभाग की मानें तो डैम का डिजाइन बदलने का निर्णय सरकार का है. जिससे 8 हजार हेक्टेयर से ज्यादा यानि 33000 हेक्टेयर सिंचाई हो सकेगी. जल संसाधन विभाग के ईई डहेरिया ने कहा कि किसानों की मांग को उच्च अधिकारियों से अवगत कराया जाएगा, उसके बाद जो फैसला होगा, उस हिसाब से आगे काम किया जाएगा. 10 दिन पहले डैम बनाने के पक्ष में कुछ कांग्रेसियों ने किसानों के धरने में शामिल होकर अपनी ही सरकार को खुली चेतावनी दी थी कि अगर गढ़ा डैम का स्वरूप बैराज में बदला गया तो इसका खामियाजा भुगतने के लिए प्रशासन और सरकार तैयार रहे.