हरदा /जिला पुरातत्व एवं पर्यटन विकास परिषद के तत्वाधान में आयोजित किये जा रहे दो दिवसीय भुआणा उत्सव का 14 जनवरी को मकड़ाई की वादीयों में शुभारम्भ हुआ। कार्यक्रम के शुभारम्भ अवसर पर कलेक्टर विश्वनाथन ने अपने उद्बोधन में हरदा के ऐतिहासिक स्थलों, संस्कृतियों, सम्पदा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भुआणा यह शब्द भू एवं अन्न दो शब्दों से मिलकर बना है। उपजाऊ भूमि होने के कारण हरदा की भूमि भुआणा कहलाती है। उन्होने बताया कि जिला पुरातत्व एवं पर्यटन विकास परिषद के तत्वाधान में जिले के पर्यटन स्थलों को विकसित करने के प्रयास किये जा रहे है।
कार्यक्रम में झारखण्ड के नृत्य नाट्य छाऊ की प्रस्तुति विशेष आकर्षण का केन्द्र रही। रंगबिरंगे मुखौटे पहने कलाकारों ने महिषासुर मर्दन की कथा का नृत्य के माध्यम से प्रदर्शन कर दर्शकों को मंत्र मुग्ध कर दिया। पातालकोट से आये कलाकारों द्वारा भारिया जनजाति का भडम नृत्य प्रस्तुत किया गया। वही बुन्देलखण्ड के बरेदी लोक नृत्य में कृष्ण लीलाओं की प्रस्तुति ने दर्शकों का मन मोहा। गौंड जनजाति के सैला नृत्य की प्रस्तुति कलाकारों द्वारा दी गई।
कार्यक्रम के प्रारम्भ में संस्कार विद्या पीठ के विद्यार्थियों ने नमरा खान के नेतृत्व मे सरस्वती वंदना प्रस्तुत की गई। इस कार्यक्रम मे जय पुजारी व विक्रांत अग्रवाल की सराहनीय भूमिका रही साथ ही भुआणा बैण्ड द्वारा भुआणा थीम सांग की प्रस्तुति दी गई। कार्यक्रम में नवाचार के रूप में उपस्थित अतिथियों को पुष्प गुच्छ की जगह फुलों के पौधे भेंट कर स्वागत किया गया।
कलेक्टर विश्वनाथन एवं पुलिस अधीक्षक भगवतसिंह बिरदे पारम्परीक साफा बान्धकर बैल गाड़ी में सवार होकर कार्यक्रम स्थल पर पहुँचे। उन्होने कार्यक्रम स्थल पर बनाई गई पारम्परीक झोपड़ी का निरीक्षण किया।
हरदा से मुईन अख्तर खान