खिरकिया। जैन श्वेताम्बर मांगलिक भवन में विराजित श्री विजयपुणा मसा ने कहा कि वर्तमान समय में बिना उम्र के ही वृद्धावस्था आ गई है। 20 वर्ष के बच्चो के बाल सफेद होने लगे है, 30 वर्ष की उम्र में दांतो में हजारो के ट्रिटमेंट करवा लिए है। छोटे छोटे बच्चो को सुगर की बिमारियां हो रही है। वास्तव में वृद्धावस्था में जीवन को निर्लेष बनाए। आज के युग में जीवन ऐसा हो गया है कि करो और निपटो। सोचने समझने का मनोमंथन का समय नही है। संसार जल बिंदु जैसा है, चांडाल जैसा है, बिजली जैसा है, क्षणभंगुर है, पर फिर भी यहीं फंसे है। हमें निर्लेष जीवन जीने के लिए मन को बांधना है। गुरू भगवंतो के सानिध्य में कुछ समय बिताऐ, उनके पास समय व्यतीत करे। वृद्धावस्था में आराधना मय जीवन जिए। शुभावना में जीवन जीना है। विकथा से दूर रहना है। स्त्रीकथा मात्रकथा, देषकथा, राजकथा नही करना। मन में गांठ नही बांधना है, अर्थात बातो को पकड़कर नही रखना। कर्म सिद्धांत को जानने वाले गांठो को छोड़ते है, क्योकि यह परंपरा से आगे बढ़ने पर कर्म उत्तरोत्तर बढ़ेगा। निरर्थक चिंताऐ वृद्धावस्था में नही करना है, जो बाते हमसें जुड़ी नही उन्हे छोड़ दे। स्वयं भी परेषान दूसरो को भी परेषान नही करना है। स्वभाव हमारा अनादि का है, स्वयं को नही देखते और दूसरो के घरो में तांका झांकी करते है। संसार की रीत है जब तक अनुकूल रहे, सभी को अच्छे लगते है, जहां थोडी प्रतिकूल हुए सभी की नजरो में खटकने लगते है। यह सभी नियम वृद्धावस्था को सुधारती है, जीवन सुखमय बितेगा। प्रवचन के पष्चात मसा का विहार खंडवा की ओर हुआ। जिसमें समाजजनो ने पहुंचकर विहार सेवा की।