राजगढ। माननीय न्यायालय विशेष न्यायाधीश पाॅक्सो एक्ट/तृतीय अपर सत्र न्यायाधीश राजगढ श्रीमति अंजली पारे राजगढ के निर्णय आदेश के पालन में म0 प्र0 अपराध पीडित प्रतिकर योजना 2015 की अनुसूची 05(ख) अनुसार पीडिता के संरक्षक द्वारा प्रस्तुत आवेदन पत्र तथा न्यायालय द्वारा की गई अनुसंशा के आधार पर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा माननीय जिला न्यायाधीश की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में पीडित पक्ष के पुनर्वास हेतु अवयस्क बच्चों के साथ लैंगिक अपराध में राशि 2,00,000 (अक्षरी दो लाख रूपये मात्र सावधी जमा के रूप में व्यस्क होने पर देय) प्रतिकर के रूप में पीडिता के भविष्य के पुर्नस्थापना तथा पुर्नवास हेतु पीडिता को भुगतान की स्वीकृति विगत दिनों प्रदान की गई थी।
प्रकरण संक्षेप में इस प्रकार है कि दिनांक 12 नबम्वर 2017 को 11 वर्षीया फरियादी द्वारा थाना तलेन में रिपोर्ट लेख कराई कि वह घर में पौंछा लगा रही थी, तो आरोपी रमेश आकर बोला कि तेरे पापा के कपड़े आकर ले जा। जब फरियादी आरोपी के घर गई तो आरोपी ने बालिका को अंदर कर उसे पल्ली पर लिटा दिया और उसके साथ जबरदस्ती बलात्कार किया। खून निकलने पर दुपट्टे से साफ कर दिया। पीड़िता के चिल्लाने पर आरोपी ने गला दबाकर मारने की धमकी दी। पीड़िता ने घर आकर सारी घटना दादी का बताई। पीडिता के परिजनों ने उक्त घटना की रिपोर्ट थाना तलेन में की जिसमें अपराध क्रमांक 250/17 की कायमी कर प्रकरण को विवेचना में लिया गया था। सम्पूर्ण विवेचना उपरांत अभियोग पत्र न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया था। माननीय तृतीय अपर सत्र न्यायाधीश महोदय श्रीमति अंजली पारे ने सत्र प्रकरण क्र 390/17 में रमेश जाटव पिता राजाराम जाटव आयु 25 साल निवासी ग्राम नाहली चैकी थाना तलेन जिला राजगढ को धारा 342,376,506 भाग-2 भादवि एवं 5/6 पाॅक्सो एक्ट में शेष प्राकृत जीवन काल के लिये आजीवन कारावास की सजा एवं कुल 11,000/- रूपये के जुर्माने से दण्डित किया था।
उक्त प्रकरण के विशेष लोक अभियेाजक श्री आलोक श्रीवास्तव ने जानकारी देते हुए बताया कि यदि बलात्कार के अपराधों की पीडित महिलाओं द्वारा राजीनामा न कर आरोपी के विरूद्ध न्यायालय में गवाही देती है, तो ऐसी गवाही के आधार पर आरोपीगणों को न्यायालय से दण्डित किया जाता है और मध्यप्रदेश पीडित प्रतिकर योजना के तहत राज्य शासन से क्षतिपूर्ति दिये जाने के आदेश भी पारित किये जाते है। इस प्रकरण में इसी प्रकार का आदेश निर्णय के समय न्यायालय से कराया गया था, जिसके आधार पर पीडिता बालिका को 2 लाख रूपये का सावधि जमा (एफ.डी.) के रूप पीड़िता के खाते में उसके वयस्क होने की अवधि के लिये जमा कर दिये गये है।