कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच केंद्र सरकार ने 24 मार्च को देशव्यापी लॉकडाउन लागू किया था. इसकी मियाद आज ख़त्म हो रही है. मुख्यमंत्रियों के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बीते दिनों बैठक की थी, जिसमें कई राज्यों ने लॉकडाउन बढ़ाने की मांग की थी.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आज देश को संबोधित कर रहे हैं. उनका पूरा भाषण आप नीचे से ऊपर की तरफ़ स्क्रॉल कर पढ़ सकते हैं.
नमस्ते, मेरे प्यारे देशवासियों.
कोरोना वैश्विक महामारी के ख़िलाफ़ भारत की लड़ाई बहुत मज़बूती के साथ आगे बढ़ रही है. आप सभी देशवासियों की तपस्या, आपके त्याग की वजह से भारत अब तक कोरोना से होने वाले नुक़सान को काफी हद तक टालने में सफल रहा है. आप लोगों ने कष्ट सहकर भी अपने देश को बचाया है. हमारे इस भारतवर्ष को बचाया है. मैं जानता हूं आपको कितनी दिक़्क़तें आई हैं. किसी को खाने की परेशानी, किसी को आने-जाने की परेशानी, कोई घर-परिवार से दूर है, लेकिन आप देश की ख़ातिर एक अनुशासित सिपाही की तरह अपने कर्तव्य निभा रहे हैं. मैं आप सबको आदरपूर्वक नमन करता हूं.
हमारे संविधान में जिस 'वी द पीपल ऑफ़ इंडिया' की शक्ति की बात कही गई है, यही तो है वो. बाबा साहब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी की जन्म जयंती पर हम भारत के लोगों की तरफ़ से अपनी सामूहिक शक्ति का ये प्रदर्शन, ये संकल्प, बाबा साहेब को सच्ची श्रद्धांजलि है. बाबा साहब का जीवन हमें हर चुनौती को अपनी संकल्प शक्ति और परिश्रम के बलबूते पर पार करने की निरंतर प्रेरणा देता है.
मैं सभी देशवासियों की तरफ़ से बाबासाहब को नमन करता हूं.
साथियों,
ये देश के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग त्योहारों का भी समय है. वैसे भी भारत तो उत्सवों से भरा रहता है. उत्सवों से हरा रहता है. उत्सवों के बीच खिलखिलाता रहता है. बैसाखी, पोहेला बैसाख, उथांडु, बोहाग बीहू, अनेक राज्यों में नए वर्ष की शुरुआत हुई है. लॉकडाउन के इन बंधनों के बीच मैं देश के लोग जिस तरह नियमों का पालन कर रहे हैं, जितने संयम से अपने घरों में रहकर त्योहार बड़ी सादगीपूर्ण तरीक़े से मना रहे हैं, ये सारी बातें बहुत ही प्रेरक है, बहुत ही प्रशंसनीय है.
मैं नए वर्ष पर आपके, आपके परिजनों के उत्तम स्वास्थ्य की मंगलकामना करता हूं.
साथियों,
आज पूरे विश्व में कोरोना वैश्विक महामारी की जो स्थिति है, हम सब उससे भली-भांति परिचित हैं. अन्य देशों के मुक़ाबले भारत ने कैसे अपने यहां संक्रमण को रोकने के प्रयास किए, आप इसके सहभागी भी रहे हैं और साक्षी भी. जब हमारे यहां कोरोना का एक भी केस नहीं था, उससे पहले ही भारत ने कोरोना प्रभावित देशों से आने वाले यात्रियों की एयरपोर्ट पर स्क्रीनिंग शुरू कर दी थी. कोरोना के मरीज सौ तक पहुंचे, उससे पहले ही भारत ने विदेश से आए हर यात्री के लिए 14 दिन का आइसोलेशन अनिवार्य कर दिया था.
अनेक जगहों पर, मॉल हो, थियेटर हो, क्लब हो, जिम हो...बंद किए जा चुके थे.
साथियों,
जब हमारे यहां कोरोना के सिर्फ़ 550 केस थे, तभी भारत ने 21 दिन के संपूर्ण लॉकडाउन का एक बहुत बड़ा कदम उठा लिया था. भारत ने समस्या बढ़ने का इंतज़ार नहीं किया. बल्कि जैसे ही समस्या दिखी, उसे तेज़ी से फैसले लेकर उसी समय रोकने का भरसक प्रयास किया.
साथियों,
वैसे ये एक ऐसा संकट है, जिसमें किसी भी देश के साथ तुलना करना उचित नहीं है, लेकिन फिर भी कुछ सच्चाइयों को हम नकार नहीं सकते हैं. ये भी एक सच्चाई है कि अगर दुनिया के बड़े-बड़े सामर्थ्यवान देशों में कोरोना से जुड़े आंकड़ें देखें तो उनकी तुलना में आज भारत बहुत संभली हुई स्थिति में है.
महीना, डेढ़-महीना पहले कई देश कोरोना संक्रमण के मामले में एक प्रकार से भारत के बराबर खड़े थे. आज उन देशों में भारत की तुलना में कोरोना के केसेस 25 से 30 गुना ज़्यादा बढ़ गए हैं. उन देशों में हज़ारों लोगों की दुखद मृत्यु हो चुकी है. भारत ने होलिस्टिक एप्रोच न अपनाई होती, इंटिग्रेटेड एप्रोच न अपनाई होती, समय पर तेज़ फैसले न लिए होते तो आज भारत की स्थिति क्या होती, इसकी कल्पना करते ही रोएं खड़े हो जाते हैं, लेकिन बीते दिनों के अनुभवों से ये साफ़ है कि हमने जो रास्ता चुना है, आज की स्थिति में वही हमारे लिए सही है.
सोशल डिस्टेंशिंग और लॉकडाउन का बहुत बड़ा लाभ देश को मिला है. अगर सिर्फ़ आर्थिक दृष्टि से देखें तो ये महंगा ज़रूर लगता है. बहुत बड़ी क़ीमत चुकानी पड़ी है, लेकिन भारतवासियों की ज़िंदगी के आगे इसकी कोई तुलना नहीं हो सकती है. सीमित संसाधनों के बीच भारत जिस मार्ग पर चला है उस मार्ग की चर्चा आज दुनिया भर में होना बहुत स्वाभाविक है.
देश की राज्य सरकारों ने भी स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं की इकाइयों ने भी इसमें बहुत ज़िम्मेदारी के साथ काम किया है. चौबीसों घंटे हर किसी ने अपना ज़िम्मा संभालने के लिए प्रयास किया है और हालत को संभाला भी है, लेकिन साथियों इन सब प्रयासों के बीच कोरोना जिस तरह फैल रहा है उसने विश्व भर में हेल्थ एक्सपर्ट्स और सरकारों को और ज़्यादा सतर्क कर दिया है.
भारत में भी कोरोना के ख़िलाफ़ लड़ाई अब आगे कैसे बढ़ें, हम विजयी कैसे हों, हमारे यहां नुक़सान कम से कम कैसे हों, लोगों की दिक़्क़तें कम कैसे करें, इन बातों को लेकर राज्यों के साथ निरंतर चर्चाएं की हैं. और इन सभी चर्चाओं में एक बात उभरकर आती है, हर किसी का यही सुझाव आता है, नागरिकों की तरफ़ से भी यही सुझाव आता है कि लॉकडाउन को बढ़ाया जाए.
कई राज्य तो पहले से ही लॉकडाउन को बढ़ाने का फ़ैसला कर चुके हैं.
साथियों,
सारे सुझावों को ध्यान में रखते हुए, ये तय किया गया है कि भारत में लॉकडाउन को अब 3 मई तक और बढ़ाना पड़ेगा. यानी, 3 मई तक हम सभी को हर देश वासी को लॉकडाउन में ही रहना होगा. इस दौरान हमें अनुशासन का उसी तरह पालन करना है, जैसे हम करते आ रहे थे.