बुरहानपुर. मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान द्वारा केंद्रीय मंडी मॉडल एक्ट २०१७ के तहत शासकीय मंडियों एवं खरीदी केंद्रों में किसानों को सीधे प्राइवेट व्यापारियों के हाथों अच्छे दाम में उपज बेचने के लिए मंडी एक्ट में संसोधन किया गया। जिससे किसानों का घर बैठे अनाज प्राइवेट मंडियों में बिक जाएगा और अधिक दाम भी मिलेगा। सरकार के इस संशोधन आदेश का विभिन्न संगठनों ने विरोध करना शुरू कर दिया है।
मध्यप्रदेश कर्मचारी कांग्रेस कृषि उपज मंडी महासंघ भोपाल के ठाकुर संतोष दीक्षित ने बताया कि केंद्रीय मंडी मॉडल एक्ट वर्मतान मंडी अधिनियम १९७२ के विपरीत है। इसके पीछे सरकार की मंडी अधिनियम को बदलने की तैयारी है। इस बदलाव से किसान, छोटे एवं मध्यम व्यापारी, हम्माल, तुलावटी एवं कर्मचारियों का पतन होगा और सभी बेरोजगार हो जाएंगे। मंडी मॉडल एक्ट में बड़े व्यापारियों को अधिक दाम देने का लालच देकर किसानों से अनाज तो खरीद लेंगे लेकिन सही दाम को भुगतान नहीं करेंगे। इसके साथ ही प्राइवेट मंडियों में अड़तिया राज होगा जो पूर्व में था। प्राइवेट मंडियों में व्यापारी अधिक रेट में खरीदना बताएंगे लेकिन यहां किसानों से आढ़त के रूप में १५ प्रतिशत ज्यादा वसूल लेंगे।
किसानों पर बनाया जाएगा दबाव
प्राइवेट मंडियों के व्यापारियों द्वारा मंडी क्षेत्र में अपनी निजी दुकान खोली जाएंगी और किसानों को महंगे दाम में सामग्री खरीदने के लिए विवश किया जाएगा।साथ ही यह भी दबाव डाला जाएगा कि यदि वह नगद भुगतान अभी लेंगे तो सरकारी रेट मिलेगा यदि एक माह बाद भुगतान लेंगे तो ही बढ़े रेट का दाम मिलेगा। नए मंडी एक्ट का संगठन के मनीष गंगराड़े, सुनील पाटील, कैलाश निगम, जयराम वानखेड़े, श्रीकांत गंगराड़े, शेख महमूद, विजय सुगंधी, आशीष गौतम, किशोर स्वामी एवं समस्त मंडी कर्मचारी संघ द्वारा विरोध किया गया।