मंगलवार, 8 सितंबर 2020

नाबालिग से दुष्कर्म करने वाले आरोपी की जमानत याचिका निरस्त*

फरियादी ने दिनांक 07/07/2018 को थाना कुण्डम में उपस्थित होकर इस आशय कि रिपोर्ट दर्ज कराई कि उसकी 16 वर्षीय पुत्री व पुत्र घर पर थे। वह दिनांक 03/07/2020 दिन शुक्रवार को अपनी भाभी को लेकर एल्गिन अस्पताल जबलपुर गई थी। भाभी की डिलीवरी होने वाली थी। दिनांक 05/07/2020 को 4:00 बजे उसकी मम्मी ने फोन करके बताया कि लड़की घर में नहीं है। वह दिनांक 07/07/2020 को घर वापस आई और अपनी लड़की के बारे में रिश्तेदारों में पता किया लेकिन उसका कोई पता नहीं चला उसे आशंका है कि कोई अज्ञात व्यक्ति उसकी नाबालिग लड़की को बहला-फुसलाकर ले गया था। फरियादी की उक्त रिपोर्ट पर थाना कुंडम के अपराध क्रमांक 169/2020 अंतर्गत धारा 363 भादवि का प्रकरण पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया। विवेचना के दौरान पीड़िता को शादी 18/07/2020 को दस्तयाब कर पंचनामा तैयार किया गया। पीड़िता के बयान लेखबद्ध किए गए, जिसमें उसने बताया कि वह अपनी मौसी की ननद की शादी में पनागर गई थी वहां उसे अभियुक्त भरत आरक मिला, उसके बाद उन दोनों के बीच मोबाइल से बातचीत होने लगी। एक दिन भाई ने उसे अभियुक्त से बात करते हुए देख लिया तो अभियुक्त को धमकी दी उसकी बहन से बात मत करना। दिनांक 12/07/2020 को अभियुक्त भरत बस स्टैंड कुंडम आया और पीड़िता बस स्टैंड गई और उसने अभियुक्त से कहा उसे अपने घर ले चलो तो उसे अभियुक्त मोटरसाइकिल से अपने घर कटनी ले गया। उसी दिन कटनी जाते समय रास्ते में सिलोंडी रोड पर जंगल में भारत ने उसके साथ पहली बार शारीरिक संबंध बनाए और कटनी में शारीरिक संबंध बनाए थे। पीड़िता द्वारा किए गए कथनों के आधार पर अभियुक्त के विरुद्ध धारा 363, 376, 376(2)N भा द वि एवं लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 की धारा 5/6 के तहत इजाफा कर विवेचना में लिया गया। आरोपी को गिरफ्तार कर न्यायालय श्रीमती संगीता यादव विशेष न्यायाधीश पाक्सो एक्ट, जिला जबलपुर में पेश किया गया। अभियुक्त ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से जमानत हेतु आवेदन प्रस्तुत किया। शासन की ओर से प्रभारी उप संचालक श्री शेख वसीम के निर्देशन में अभियोजन की ओर से श्रीमती स्मृतिलता बरकड़े अति. जिला अभियोजन अधिकारी द्वारा शासन की ओर से कड़ा विरोध प्रस्तुत कर अपना पक्ष रखते हुए जमानत का विरोध किया गया। श्रीमती स्मृतिलता बरकड़े अति. जिला अभियोजन अधिकारी ने तर्क देते हुए बताया कि यदि आरोपी को जमानत का लाभ दिया जाता है, तो समाज में न्याय के विरूद्ध विपरीत संदेश पहॅुचेगा। न्यायालय ने अभियोजन द्वारा व्यक्त किए गए तर्कों से सहमत होते हुए व अपराध की गम्भीरता को ध्यान में रखते हुए आरोपी की जमानत निरस्त कर आरोपियों को न्यायिक अभिरक्षा में भेजा गया। जमना प्रसाद ध्रुवे सहायक मीडिया सेल प्रभारी सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी जबलपुर (म.प्र.)


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