भोपाल। जिला बार एसोसिएशन भोपाल के कनिष्ठ कार्यकारिणी सदस्य के रूप में अपनी एक अलग पहचान बनाने वाले अधिवक्ता शिशुपाल "एस.पी." फिलहाल अपने पैतृक निवास सबलगढ़ जिला मुरैना में लगभग 6 माह से डेरा जमाए हैं।
राजधानी भोपाल में अपनी स्कूली शिक्षा और उच्च शिक्षा करके जिला एवं सत्र न्यायालय भोपाल में विधि व्यवसाय करने वाले शिशुपाल"एस.पी." का सबलगढ़ में रहना राजनैतिक स्तर पर कई सवाल खड़े करता है।
शिशुपाल "एस.पी." के बारे में कहा जाता है कि उनके पिता बहुजन समाज पार्टी में राष्ट्रीय स्तर और प्रदेश स्तर पर अच्छा खासा प्रभाव रखने वाले नेता रहे हैं। वे बसपा संस्थापक कांशीराम के समय से लगभग 23-24 वर्षों तक प्रदेश कार्यालय के प्रमुख और कोषाध्यक्ष के पद पर आसीन रहे हैं। उनके पिता राजाराम के बारे में यह भी कहा जाता है कि उनकी सूझबूझ का ही परिणाम था कि 1998 में बसपा ने सबलगढ़ की विधानसभा की सीट जीती। राजाराम के सबलगढ़ छोड़ने से आज तक यह सीट बसपा के पाले में नहीं आ पाई है।
मंच और मीडिया से कोसों दूर होने के बावजूद भी राजाराम ने राजनीति में बसपा नेता के रूप में एक विशिष्ट पहचान बनाई। यही कारण है कि राजाराम को बसपा का आधारभूत नेता और पहचान कहा जाने लगा। किंतु समय ने अचानक एेसी करवट ली राजाराम को वर्तमान में अपनी राजनैतिक जमीन तलासने पर मजबूर कर दिया है।
यह कयास लगाए जा रहे हैं कि राजाराम अपनी राजनैतिक हैसियत पाने के लिए अपने बेटे शिशुपाल "एस.पी." को आगामी विधानसभा के चुनाव मैदान में उतार सकते हैं। शायद यही वजह है शिशुपाल "एस.पी." ने अभी से सबलगढ़ क्षेत्र में सेंध लगाना शुरू कर दिया है। यदि शिशुपाल "एस.पी." आगामी चुनाव मैदान में उतरते हैं तो निश्चित ही वे कम उम्र के कारण देश-प्रदेश में चर्चा के विषय होंगे। किंतु यह जानकारी नहीं मिल पाई है कि वे बसपा के प्रत्याशी होंगे या फिर किसी अन्य दल के। राजाराम और उनके बेटे से मीडिया ने संपर्क साधने का प्रयास किया किंतु संपर्क न हो पाया।
ज्ञात हो कि विगत वर्ष 2018 में पूर्व प्रदेशाध्यक्ष नर्मदा प्रसाद अहिरवार सहित राजाराम पर छेड़छाड़ का अपराध पंजीबध्द हुआ। जो वर्तमान में भोपाल कोर्ट में विचाराधीन है। जिसे राजाराम और उनके पुत्र शिशुपाल"एस.पी." ने मीडिया के माध्यम से निराधार,झूठा और राजनीति से प्रेरित बताया।
मायावती ने उक्त मामले के चलते 2018 से ही राजाराम को सभी पदों से मुक्त कर घर बैठा रखा है।