टीकमगढ़। मीडिया सेल प्रभारी एन.पी. पटेल ने बताया कि अभियुक्त द्वारा वर्ष 1989 से 1999 के मध्य जिला सहकारी बैंक मर्यादित टीकमगढ़ में बैंक के कर्मचारी के रूप में बैंक में प्राप्त खातेदारों की रकम को उनके खाते में एंट्री न कर एवं कुछ जगह गलत एंट्री कर बेईमानी से अपने उपयोग हेतु परिवर्तित किया। आरोपी द्वारा अपने पदीय कर्तव्यों का दुर्रुपयोग करते हुए पासिंग ऑफिसर होने के कारण बैंक शाखा में प्राप्त राशियों की प्रविष्टियां रोकड़ बही में नहीं की गईं व खातेदारों से छलपूर्वक प्राप्त राशि 14 लाख 57 हजार की राशि अपने स्वयं, पत्नि व पुत्र जितेन्द्र कुमार के खातों में दर्शायी गई।
आरोपी के उक्त कृत्य की सूचना तत्कालीन शाखा प्रबंधक आर.के. जैन द्वारा थाना कोतवाली में 20.03.2000 को दी गई। उक्त सूचना के आधार पर थाना कोतवाली के अपराध क्रमांक 274/2000 धारा अंतर्गत 409, 467, 468, 471 भादवि पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया। समस्त विवेचना उपरांत श्रीमान् के न्यायालय टीकमगढ़ के समक्ष चालानी कार्यवाही की गई। आज दिनांक को माननीय न्यायालय द्वारा संपूर्ण विचारण पश्चात् आरोपी राजेन्द्र प्रसाद श्रीवास्तव निवासी जेल रोड, टीकमगढ़ को धारा 409 भा.दं.सं. के अपराध में तीन वर्ष के सश्रम कारावास एवं 1000 रूपये के अर्थदण्ड की सजा से, धारा 467 भा.दं.सं. के अपराध में तीन वर्ष के सश्रम कारावास एवं 1000 रूपये के अर्थदण्ड की सजा से, धारा 468 भा.दं.सं. के अपराध में दो वर्ष के सश्रम कारावास एवं 1000 रूपये के अर्थदण्ड की सजा से, धारा 471 भा.दं.सं. के अपराध में तीन वर्ष के सश्रम कारावास एवं 1000 रूपये के अर्थदण्ड की सजा से दण्डित किया है। इस निर्णय का महत्वपूर्ण बिंदु यह है कि न्यायालय द्वारा अपने निर्णय के पैरा क्र० 29 में आरोपी के विरूद्ध यह लेख किया है कि ‘’ अभियुक्त द्वारा किये गये कृत्यों में सिलसिलेवार और दीर्घावधि में कृत्य किए गए हैं, कूटरचना व कूटरचित दस्तावेजों का प्रयोग मुख्यरूप से गबन के लिए किया गया है। अत: परिस्थितियों को देखते हुए सभी कारावास की सजाएं एक के बाद एक भुगताई जाएं।‘’ इस प्रकार माननीय मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट टीकमगढ़ द्वारा आज घोषित अपने निर्णयानुसार गवन के बीस वर्ष पुराने मामले में आरोपी राजेन्द्र प्रसाद को कुल 11 वर्ष के सश्रम कारावास से दण्डित किया है। ध्यातव्य है कि यह टीकमगढ़ में पिछले करीब दस सालों में ऐसा पहला मामला है जिसमें आरोपी को विभिन्न धाराओं में दण्डित किया जाकर माननीय न्यायालय द्वारा अपने निर्णयानुसार यह आदेश प्रदान किया गया हो कि सभी कारावास की सजाओं को पृथक्-पृथक् भुगताया जावे। उक्त मामले में शासन की ओर से सक्षम पैरवी श्री प्रमोद कुमार राय, सहायक जिला अभियोजन अधिकारी द्वारा की गई।