शिकायतकर्ता सुगेन्द्र पटेल वन विभाग वनमंडल रीवा के अंतर्गत ग्राम वन समिति बदवार बीट मे 2500 रूपये प्रतिमाह के वेतन पर जंगल की अवैध कटाई और शिकार रोकने हेतु चैकीदार के रूप मे कार्य करता था। सुगेन्द्र पटेल को समिति के सचिव हरिराज सिंह वनरक्षक ने चैकीदार के रूप मे नियुक्त किया था।
सुगेन्द्र पटेल का वर्ष 2013 का माह मई, जुलाई और अगस्त की मजदूरी कुल 7500 रूपये का भुगतान माह सितंबर तक हरिराज द्वारा नही किया गया था। जब सुगेन्द्र पटेल वेतन के संबंध मे हरिराज सिंह ने मिला तो हरिराज सिंह ने 03 माह के वेतन निकालने के एवज मे 2500 रूपये रिश्वत की मांग की। जिसकी शिकायत सुगेन्द्र ने पुलिस अधीक्षक लोकायुक्त से की। लोकायुक्त द्वारा शिकायत का सत्यापन कराया गया। सत्यापन के बाद दिनांक 20.09.2013 को ट्रैप अयोजित किया गया। हरिराज सिंह वनरक्षक से मिलने सुगेन्द्र उसके आॅफिस वन चैकी डिपो गुढ़ गया। जहां हरिराज सिंह ने सुगेन्द्र से 2000 रूपये रिश्वत की मांग की और रिश्वती रूपये प्राप्त कर उसे अपने हाफ टी-शर्ट के जेब मे डाल लिया तभी ट्रैप टीम ने हरिराज सिंह को रंगे हाथ धरदबोचा।
विचारण के दौरानसहायक जिला अभियोजन अधिकारी(लोकायुक्त) श्रीसचिन द्विवेदी द्वारा शासन की ओर से मामले में प्रस्तुत किए गए साक्ष्यों एवं प्रभावी तर्कों से सहमत होते हुए अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश- (विशेष न्यायालय लोकायुक्त) श्रीमान् गिरीश दीक्षित ने आरोपी वनरक्षक हरिराज सिंह पिता यज्ञभान सिंह वनरक्षक वीट बदवार सर्किल गुढ़ वनमण्डल रीवा को भ्रष्टाचार का दोषी पाते हुए भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 के तहत 3 वर्ष के सश्रम कारावास एवं 2000 रूपये अर्थदंड एवं धारा 13 के तहत 04 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 2000 रूपये का अर्थदण्ड से दण्डितकिया।
विशेषः-हरिराज सिंह से सुगेन्द्र पटेल ने लोकायुक्त मे शिकायत करने से पहले कई बार मुलाकात कर अपने वेतन का भुगतान करने की मांग की थी। जब आरेापी वेतन नही दे रहा था तो इसकी शिकायत सुगेन्द्र पटेल ने वनसंरक्षक रीवा को की थी। इसके बाबजूद आरोपी ने दुस्साहस दिखाते हुए पुनः रिश्वत की मांग की, जिसके बाद वह ट्रैप हुआ।
न्यायालय के सामने साक्ष्य के दौरान बातचीत की सीडी नही चली थी। लेकिन अभियोजन की प्रभावी भूमिका के कारण आरोपी सलाखो के पीछे पहुच गया।
मो. अफजल खान
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