जिला मीडिया प्रभारी सुश्री सूरज वैरागी द्वारा बताया गया कि दिनांक 08.03.2019 को सुबह करीबन 04:00 बजे फरियादी अपने घर में सो रहा था तभी उसके भतीजे की लड़की अर्पिता फरियादी बुलाने आई और बोली की पिता मां को मार रहे हैं तो फरियादी कालू, पारसिंह के घर गया तो देखा कि अभियुक्त राजिया अपनी पत्नी सुमित्रा को खटिया के पाये से मारपीट कर रहा है।
फरियादी ने आरोपी राजिया से बोला कि क्यों मार रहा है तो आरोपी बोला कि तु कौन होता है वह अपनी पत्नीे को मारे या कुछ भी करे तभी वहां पर बीजूबाई और पारसिंह भी आ गये और बीच बचाव करने लगे तो आरोपी राजिया ने बीजूबाई को भी खाट के पाये से मारा, जो उसके हाथ की कलाई में चोट लगी आरोपी उन्हें मां-बहन की गालियां देते हुये मारने दौड़ा तो तीनों वहां से डरकर भाग गये। फिर आरोपी अपनी पत्नी मृतिका सुमित्रा को मारपीट करता हुआ अपने घर ले गया। फरियादी ने चौकीदार को फोन कर अपने घर बुलाया और वे आरोपी के घर गये तो आरोपी उन्हें देखकर गाली देने लगा और उसने बोला कि अपनी पत्नी को मार डाला है। अगर किसी ने पुलिस में रिपोर्ट करने की कोशिश की तो वह उसे जान से खत्मआ कर देगा और आरोपी वहां से चला गया। गांव के लोग इकट्ठे हो गये चौकीदार ने सुमित्रा के भाई को फोन लगाया परिवार के लोग आये देखा तो सुमित्रा मर चुकी थी उसके सिर में, आंख पर, कमर में और हाथ पैरों में चोट होकर खून निकल रहा था फरियादी कालू ने मौके पर रिपोर्ट दर्ज करवाई पुलिस थाना मेघनगर द्वारा धारा 294, 323, 506, 302 भा.दं.वि. में अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया। आरोपी को गिरफ्तार कर न्न्यायालय में पेश कर जेल भेजा गया। मृतिका के कपड़े एवं विसरा, खून आलूदा मिट्टी, खाट का पाया जप्त कर रासायनिक जांच हेतु विज्ञान प्रयोगशाला भिजवाये गये। अपराध की गंभीरता को देखते हुये पुलिस अधीक्षक झाबुआ द्वारा प्रकरण को जघन्य् एवं सनसनीखेज की श्रेणी में रखते हुये प्रकरण की विवेचना पूर्ण कर अभियोग पत्र न्यायालय में पेश किया गया। न्यायालय में विचारण के दौरान शासन की ओर से उप-संचालक (अभियोजन) श्री के.एस. मुवेल जिला झाबुआ द्वारा अभियोजन साक्षियों की साक्ष्य तथा तर्क प्रस्तुत कर प्रकरण को आरोपी के विरुद्ध संदेह से परे साबित किया। माननीय न्यायालय श्रीमान जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री राजेश कुमार गुप्ता साहब द्वारा आरोपी राजिया पिता मलिया आयु 25 वर्ष, निवासी ग्राम रामपुरा थाना मेघनगर जिला झाबुआ को दोषी पाते हुये धारा 302 भा.दं.वि. में आजीवन कारावास एवं 100 रूपये का अर्थदण्डक, धारा 325 भा.दं.वि. में 3 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 100 रुपये का अर्थदण्ड से दंडित किया गया।
शासन की ओर से प्रकरण में संपूर्ण संचालन उप-संचालक (अभियोजन) श्री के.एस. मुवेल द्वारा किया गया।